ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। मंदार की पावन धरती पर स्थित मेला मैदान में सीताराम विवाह महोत्सव एवं श्री श्री 108 लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के नौ दिवसीय आयोजन को लेकर शुक्रवार को दिन में रामलीला में फुलबाड़ी मिलन का प्रसंग का मंचन किया गया।जिसमें दिखाया गया की कैसे सीता जी मां गौरी पूजन के लिए फुलवारी से फूल तोड़ने के लिए जाती हैं। उसी फुलवारी में श्री राम का दर्शन होता है। जब सीताजी की नजर प्रभु राम पर पड़ती है तो वह मोहित हो जाती है। दूसरी तरफ श्रीराम को सीता के नूपुर की आवाज मोहित करती हैं। गौरी की पूजा करते समय सीता जी अपने वर के रूप में श्रीराम को मांगती हैं। इसके बाद राजा जनक गुरु विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण को धनुष यज्ञ शाला ले गए। यहां पर देश-विदेश के राजा सुंदर सिंहासन पर विराजमान थे। राजाओं के धनुष न तोड़ पाने के कारण निराश राजाजनक को देखकर गुरु विश्वामित्र का इशारा पाकर श्रीराम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं तो अन्य राजा आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इस दौरान मंच पर राजा जनक ,अयोध्या के राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ मुनि की उपस्थिति में राम और सीता का विवाह की आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गई। देर शाम बांका की पुर्व सांसद पुतुल कुमारी सीताराम विवाह महोत्सव एवं श्री श्री 108 लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के नौ दिवसीय आयोजन में सामिल हुईं।बांका की पूर्व सांसद पुतुल कुमारी ने व्यास पीठ पर पुष्पांजलि देकर कथावाचिका को सम्मानित किया। कार्यक्रम
की आयोजक सिया दीदी ने पूर्व सांसद को पुष्प माला पहनकर एवं अंक वस्त्र देकर सम्मानित किया। पूर्व सांसद ने मंच से मंदार की धरती पर कथावाचिका का रामचरितमानस की चौपाई पढ़कर अभिवादन किया। देर शाम एडीएम माधव कुमार सिंह भी सीताराम विवाह महोत्सव एवं श्री श्री 108 लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के 9 दिवसीय आयोजन में शामिल हुए। कथा के प्रसंग में कथावाचिका ने बताया कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। जिसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा ली, कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी देश के राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा। समय पर स्वयंवर की कार्रवाई शुरू हुई और एक-एक कर लोगों ने धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। इस दौरान संगीतमयी भजन की दमदार प्रस्तुति हुई जिसे सुनकर श्रद्धालु झूमने से खुद को नहीं रोक सके। कथावाचिका की कथा ने श्रधालुओं का मन मोह लिया। उनके मुखारबिंद से प्रवचनों को सुन कर श्रद्धालु आनंदित हो उठे। इस दौरान काफी संख्या में दूर दराज के श्रद्धालु यहां पहुंचे। वहीं मंदार मेला मैदान में प्रवचन सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इस धार्मिक समागम से चारों ओर वातावरण धार्मिक बना हुआ है। इस कार्यक्रम में देश भर के प्रसिद्ध साधु संत भी पहुंचे हुए हैं। आयोजन समिति द्वारा कार्यक्रम की सफलता को लेकर लगातार सक्रिय सहयोग किया जा रहा है। ठंड पर आस्था भारी पड़ रही है। सर्द भरी रातों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है। दूर दराज के गांव से लोग ठंड में राम विवाह की कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। इस दौरान श्रधालुओं की भाड़ी भीड़ कथा पंडाल में देर रात्रि तक लगी रही। इस अवसर पर अंचलाधिकारी विजय कुमार गुप्ता, गौरव कृषण शास्त्री,सुमन मौर्य, देवाशीष पांडे, धीरज सिंह,बिपिन मिश्रा,ब्रजेश मिश्रा सहित अन्य मौजूद थे।
रौशन कुमार,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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