ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। ऐतिहासिक मंदार की पावन धरा पर स्थित मेला मैदान में सीताराम विवाह महोत्सव एवं श्री श्री 108 लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के नौ दिवसीय आयोजन को लेकर अंतिम दिन सोमवार को कथावाचिका साध्वी भाग्यश्री देवी के द्वारा कथा के प्रसंग में बताया की राम शब्द का अर्थ है सर्वोत्तम आनंद और यह नाम लेते ही वशिष्ट मुनि बहुत प्रसन हुए | भगवान राम जब तक इस पृथ्वी पर प्रकट रहे वे सबको परम आनंद प्रदान करते थे | इस आनंद का आधार था केवल प्रेम| यदि आनंद का आधार प्रेम न हो तो वह आनंद नही अपितु केवल आनंद की छाया है| प्रेम से ही आनंद मिलता है और भगवान राम अपनी प्रजा से असीम प्रेम करते थे और उनकी प्रजा भी उनसे उतना ही प्रेम करती थी| भगवान राम का सुन्दर रूप, उनका अमल आचरण सदा ही लोगों की प्रसन्ता का कारण बनते थे| वैदिक संस्कृति में बच्चों को जो नाम दिए जाते थे उनका कुछ अर्थ अवश्य होता था|भरत शब्द का अर्थ है “भगवान की सेवा लिए असीमित भार उठाने की क्षमता|” श्रीमद् रामायण में हम पढ़ते हैं कि जब श्रीराम वनवास को जाते हैं तो भरत जी को राज सौंपते है|भरत शब्द का एक अर्थ यह भी है कि अपने भाई रूपी भगवान के बिना उनको राज्य, सम्पति, और अपना जीवन एक अवांछित भार के समान लगा| शास्त्र हमें यह भी बताते है कि भरत
जी किसी का भी भार अथवा बोझा उठाने को तैयार हैं और हमेशा सेवा के लिए आतुर है| लक्ष्मण शब्द का अर्थ है जिसके पास लक्ष्मी अथवा धन है| लक्ष्मण जी भी विष्णु तत्त्व है और शेषनाग है|लक्ष्मण जी का धन श्री राम जी की सेवा ही है |जब भगवान राम वनवास को जाते है तो लक्ष्मण जी को सुमित्रा माता कहती हैं कि तुम्हारा जन्म राम जी की सेवा के लिए ही हुआ है इसलिए श्रीराम और सीता जी के साथ जाने के उनके निर्णय को माता सुमित्रा उचित बताती हैं|हम संपूर्ण रामायण में देखते हैं कि लक्ष्मण जी सदैव रामजी के निकटम रहकर उनकी सेवा करते हैं| शत्रुघ्न का अर्थ है जिसने अपने शत्रु का हनन कर दिया हो|लेकिन हम देखते हैं कि रामायण में मुख्यता राम जी लक्षमण जी ही असुरों का संघार करते हैं|इस सन्दर्भ में कहा जाता है कि शत्रुघ्न जी ने मन के 6 विकार या शत्रु – काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, और मात्सर्य पर विजय पाई| साथ ही यह भी बताया गया की हम राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन जी से क्या सीख सकते हैं? राम जी स्वयं वासुदेव हैं। वह हमें अपने अद्भुत गुण, लीला और आध्यात्मिक दुनिया के रसों को दिखाने के लिए प्रकट होते है। उनका चरित्र अमल है इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है | वास्तव में, हम में से हर एक को अपने चरित्र में भगवान राम के सभी अच्छे गुणों को आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए। इस दौरान कथा पंडाल में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही। श्रद्धालुओं ने श्री राम की कथा का श्रवण कर आनंदित हो गए। इसके बाद कथा को विराम दिया गया। इसके बाद आरती हुई। मुख्य रूप से श्री सीताराम विवाह महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुमन सौरव मौर्य, सचिव देवाशीष पांडे, भाजपा जिलाध्यक्ष विक्की मिश्रा, राजू सिंह, शिव कुमार साह, पूरनलाल टुडू, शंकर सिंह, मनीष राय, नवनीत आनंद, गंगा महासभा दिल्ली के प्रदेश महामंत्री नितिन पांडे, निप्पू झा, धीरज सिंह सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
रौशन कुमार,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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