2015 -16 में झारखंड राज्य के मध्य विद्यालयों में नियुक्त स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रोन्नति से दरकिनार करने और कुछ शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ देने की नियति से शिक्षा सचिव की स्वयं के पत्र को संशोधित करते हुए पुनः निर्देशित पत्र जारी करना कहा तक उचित है । शिक्षा सचिव के विभागीय पत्रांक 770/दिनांक 05.10.2023 के द्वारा VI-VIII के शिक्षको को पूर्व के शिक्षकों से वरीय बताते हुए सूची का निर्माण करने का आदेश जारी किया जाता है और इसके आलोक में विभिन्न जिलों के द्वारा वरीयता सूची का निर्माण कर लिया जाता है पुनः 4 -5 सप्ताह बाद सचिव महोदय के द्वारा कुछ शिक्षक संघ के दवाब में एक निर्णय निर्देश जारी किया जाता है कि ग्रेट 7 में प्रोन्नति हेतु ग्रेड IV में कार्यरत एवम 5 वर्ष की कार्य अनुभव को शिथिल करते हुए कार्यानुभव की अवधि 10 वर्ष कर दिया गया है। जो अनैतिक और भेदभाव पूर्ण है। आज गोड्डा जिले के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल स्थानीय विधायक दीपिका पांडे सिंह से मिलकर अपनी समस्या रखी। और आग्रह किया कि प्रोन्नति का कार्य शिक्षक प्रौन्नति नियमावली 1993 के तहत किया जाय। साथ ही यह भी ध्यानाकर्षण किया गया कि राज्य के सभी जिले में जिन -जिन प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय में उत्क्रमण किया गया है जिसमे प्रधानाध्यापक का पद सृजन का कार्य शिथिल पड़ा हुआ है यदि इन विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद सृजन तीव्र गति से कर लिया जाता है तो सभी शिक्षको में प्रोन्नति संबंधी विवाद स्वतः समाप्त हो जायेगी। और सभी शिक्षक पुराने हो या 2015-16 में नियुक्त 6 से 8 के शिक्षक हो सबों को प्रोन्नति मिल जायेगी। विभाग की मंशा प्रोन्नति देना नही बल्कि आपस में लड़वाकर मामले को उलझाना है।
विधायक से मिलने वाले शिक्षको में सुभाष चंद्र, चंद्रशेखर प्रसाद, डॉ साकेत कुमार, रीतेश रंजन, निलेश कुमार, राजेश गुप्ता, सुदीप चंद्र ठाकुर, शुकलाल मुर्मू इत्यादि शिक्षक थे।
ग्राम समाचार, गोड्डा।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें