ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। मकर संक्रांति के पूर्व से ही पापहरणी सरोवर में सफा धर्मावलंबियो का आना लगा हुआ है। रविवार को भी भारी संख्या में पापहरणी सरोवर के चारों तरफ का इलाका सफा धर्मावलंबी के साथ-साथ सनातन धर्मावलंबियो से भरा पड़ा था। सुबह की कड़ाके की ठंड में भी सूर्योदय के पूर्व 4 बजे से ही सरोवर में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ आनी आरंभ हो गई थी। जो लगातार दोपहर बाद तक भी जारी रहा। सफा धर्मावलंबियो से पूरा मंदार पर्वत का क्षेत्र भरा हुआ था। हालांकि शास्त्रों अनुसार मकर संक्रांति का पर्व आज मनाया जायेगा। परंतु बरसों से चली आ रही परंपरा के अनुसार यहां 14 जनवरी को भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और पापहरणी सरोवर में स्नान करने के बाद सरोवर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा अर्चना कर पर्वत स्थित विभिन्न मंदिरों में भी पूजा अर्चना की। जबकि भारी संख्या में ऐसे श्रद्धालुभी मंदार पर्वत पर पहुंचे जो मकर संक्रांति
मनाते हुए तिल और चूड़े का बने लाडू खाते दिखाई दिए। वहीं साफा अनुयायियों के द्वारा स्नान के बाद पूरे नियम निष्ठा और विधि विधान के साथ मंदार गुरु एवं अपने ईष्ट की आराधना की गई। सफा अनुयायियों के द्वारा आदिवासी पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य, संगीत के साथ महिला एवं पुरुष सफा अनुयाई नाचते, झूमते, गाते दिखाई दिए। हर मुश्किलों और हर प्रकार की बधाओं से दूर प्रकृति की मनोरम वादियों में अपने-अपने इष्ट देव की आराधना में पूरी तरह से लीन दिखाई दिए। सफा मंदिर समीप मांझी स्थान की पुजारी लक्ष्मी मुर्मू और उनके पति राजेंद्र मुर्मू संयुक्त रूप से जानकारी दिया कि वे लोग यहां पर प्रभु श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण, भगवान शिव, गंगा और मंदार पर्वत के साथ-साथ 33 कोटी देवी देवताओं की पूजा करते हैं। पूरी तरह सनातन धर्म को मानने वाले ये लोग अपने बच्चों को मंदार पर्वत की तरह मजबूत और विशाल बनने का आशीर्वचन देते हैं। देर शाम पुजा अर्चना के बाद सफा अनुयाई यहां से विदा होने लगे थे।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।
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