Chandan News: फिल्म निर्देशक इकबाल दुर्रानी से खास बातचीत

ग्राम समाचार,चांदन,बांका। फिल्म निर्देशक इकबाल दुर्रानी साहब का आगमन चांदन प्रखंड के भैरोगंज बाजार निवासी एन्गलो समाज के जाने माने दिवंगत फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के दोस्त फिल्म जगत के पुराने एक्टर फेबियन चार्ल्स उड के आवास पर हुआ। इकबाल दुर्रानी साहब को पहुचते ही फेबियन चार्ल्स उड के परिजनों भव्य स्वागत किया। दुर्रानी साहब करीब आधा घंटा रुककर उनके वृद्ध माता पिता से मिलकर कुशलक्षेम जाना और चाय नास्ता का स्वाद चखा। बतादें की फिल्म एक्टर फेबियन चार्ल्स उड 2004 से 2009 तक  मुम्बई के मशहूर फिल्म निर्देशक इकबाल दुर्रानी साहब के साथ रह कर कई फिल्म में काम करने का मौका मिला था। तब से दोनों की दोस्ती ने आज यहां तक खिंच लाया। इकबाल दुर्रानी साहब बांका जिले के बौंसी प्रखंड क्षेत्र के बलुआतरी गांव का रहने वाला है। जिन्होंने अपने गरीबी के हालत में घर से निकलकर मुम्बई शहर चला गया। और एक अलग पहचान बना लिया। इकबाल दुर्रानी साहब   अपने पुराने दोस्त फेबियन चार्ल्स उड के अनन्या रेस्टोरेंट में भी एक दिन रात ठहर कर मिनी सिमला कहे जाने वाले 

सिमुलतल्ला क्षेत्र के सुन्दर वादियाँ सहित आनंदपुर ओ पी क्षेत्र के झझवा पहाड स्थित झरना का दीदार भी किया। इस दौरान फिल्म निर्माता इकबाल दुर्रानी से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने के लिए जुनून होना चाहिए, मैं जब अपने घर से मुंबई पहुंचा तो मेरे पास मात्र 232 रुपए था ।और इस पैसे के बदौलत आज मैं इस मुकाम तक पहुंचा हूं। जब मैं अपनी पहचान बनाने के किसी प्रोड्यूसर से मिलने की ख्वाब रखते थे तो मुझे इकबाल दुर्रानी की पहचान के लिए "एक बाल दो रानी"  से समावेश करने पर पहचान बनी यह पहचान बनाने में लगभग 6 साल बीत जाने के बाद बनी। उन्होंने बांका की धरती को भी सराहते हुए कहा कि मुझे भी अब फिल्म इंडस्ट्री दुनिया को छोड़कर अलग दुनिया बनाएंगे, जहां समाज के लोगों को फायदा मिल सके। उन्होंने बताया कि अपने जीवन काल में टाटा कॉलेज चाईबासा से पढ़-लिखकर डीग्री प्राप्त किया। फिर फिल्म के दुनिया में कदम रखने अवसर प्राप्त किया। और कुछ ही दिनों झोपडी से निकलकर महलों में प्रवेश कर लिया। अपने फिल्म इंडस्ट्री केरियर में लगभग डेढ़ सौ से ऊपर सभी तरह के फिल्म बनाए हैं। जिसमें मुख्य रूप से पहली फिल्म कालचक्र,हीट होने के साथ ही फूल और कांटे, सौदागर, जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई। पहचान बनवाने में इकबाल दुर्रानी ने संस्कृत में लिखी हिंदुओं की धर्म ग्रंथ सामवेद को उर्दू और अंग्रेजी में लिखा है। उन्होंने आजकल बन रहे फिल्मों पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि आजकल के दौर में परिवार को देखने लायक फिल्म नहीं बन रही है। हमारे जमाने में परिवार लायक फिल्म बनती थी जहां मां बेटे सास बहू का प्यार दर्शाया जाता था।आदि जीवनी पर प्रकाश डाला।

उमाकांत साह,ग्राम समाचार संवाददाता,चांदन। 

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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