ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। नई शिक्षा नीति - 2020 के तहत सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लागु कराने के लिए नित्य नये - नये प्रयोग किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा लगातार स्थानीय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक मॉनेटरिंग की जा रही है। विद्यालय इंफ्रास्ट्रक्चर को चुस्त-दुरुस्त युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। शिक्षकों की कमी को दूर किया जा रहा है। शिक्षक में गुणात्मक विकास हेतु लगातार प्रशिक्षण दिए जा रहे है। विद्यालय समय सारणी में बदलाव कर आठ घंटे से अधिक कर दिए गए हैं। समय पर शिक्षकों को वेतन दिए जा रहे है। फिर भी शिक्षकों में हताशा देखी जा रही है। सरकार को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को अक्षरशः पालन कराने के लिए शिक्षा, शिक्षक और समाज के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। शिक्षक, सरकार का अंग होने के नाते
सरकार द्वारा जारी सभी आदेशों को मानने के लिए बाध्य है। परन्तु, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समाज की सहभागिता और उनकी समझ विकसित किए बगैर संभव नहीं है। साथ ही साथ सरकार को इस बात पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि, शिक्षक तनावपूर्ण स्थिति में बेहतर शिक्षण कार्य नहीं कर सकते? शिक्षकों में क्वालिटी की कमी नहीं है। जरूरत है कि शिक्षकों की धरातलीय समस्याओं की पहचान किया जाय। सरकार शिक्षकों से पूरी तरह से काम लेने की मंशा रखती है तो सरकार को भी चाहिए कि सातवें वेतन के साथ केन्द्रीय वेतनमान दे। चाइनीज वेतनमान देकर शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आशा नहीं की जा सकती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अगर चाहिए तो शिक्षकों के लिए आवासीय सुविधा के साथ - साथ जन प्रतिनिधियों को मिलने वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध किया जाना चाहिए। साथ ही साथ सभी जनप्रतिनिधियों एवं नौकरशाह के बच्चों का नामांकन सरकारी विद्यालयों में किया जाना चाहिए। शिक्षा से जुड़े अधिकारियों को अभिभावकों से भी संपर्क बनाकर फीडबैक लिया जाना चाहिए।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।
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