रेवाड़ी के बावल रोड स्थित वृंदा गार्डन में रविवार को आयोजित संवर्धिनी समागम में हजारों जागरूक महिलाएं समाज उत्थान में अपनी भूमिका पर मंथन करने पहुंची। केशव लोक सेवा न्यास के तत्वावधान में आयोजित इस समागम में उमड़ी नारी शक्ति में विचारों की शक्ति दिखाई भी दी। उन्होंने दिखाया कि कैसे महिलाएं अपनी जागरुकता से समाज को सशक्त बना रही। उद्धघाटन सत्र में भारतीय स्त्री शक्ति समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती नयना सहस्त्र बुद्धो ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि भारतीय दृष्टिकोण में नारी का स्थान सर्वोपरि है। निर्माण की शक्ति परमात्मा ने नारी को ही प्रदत्त की है।भारतीय दर्शन में पुरुष व महिला को एक दूसरे का पूरक माना जाता है। पश्चिम की अवधारणा में ऐसा नही है। लेकिन यह विडम्बना है कि नारी शक्ति स्वरूपा है इस भाव को नारी ने ही विस्मृत कर दिया है। इस शक्ति के जागरण के लिए ही कार्यक्रम आयोजित किया गया है। सँवर्धनी समागम में लगभग चार हजार महिलाएं शामिल हुई। इस विशेष अवसर पर महिलाओं ने अपने अपने क्षेत्र में महिलाओं के सामने आने वाली कठनाइयों से अवगत कराया। यहां लगी स्टाल भी उनके आकर्षण का केंद्र रहा। आर पी एस स्कूल ग्रुप की चेयरपर्सन श्रीमती पवित्रा यादव की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में पदमश्री पर्वतारोही संतोष यादव मुख्य अतिथि, एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियन 107 वर्षीय श्रीमती रामबाई विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुई।
श्रीमति बुद्धो ने नारी शक्ति की गरिमा के विषय में बोलते हुए कहा कि भारत में स्त्री को मां के रूप में प्रतिष्टित किया है। नारी तू नारायणी का संदेश भारत देश ने ही दिया है । सीता द्रोपती जैसी नारी प्रेरक रही है। सीता समाज में कर्तव्य व अधकारों की पहचान है। उनके अनुसार ऋग्वेद में 27 महिलाओं के नाम है। विवाह मंत्र की रचियता महिला ही है। परन्तु यह दुर्भाग्य है कि ऐसे श्रेष्ठ सन्देश देने वाले देश में ही नारी के प्रति नजरिया ठीक नहीं है। अबोध बच्चियों से बलात्कार के मामले हो रहे हैं। यह हमारा संस्कार नहीं है। हमारे देश में केवल कहने के लिए ही नहीं बल्कि आचरण में परिलक्षित होने वाला संस्कार है। हमे अपने परिवारों में महिला के प्रति भारत के चिंतन को पूर्ण रूप से समाहित करना होगा। तभी समाज में महिलाओं को कुदृष्टि से देखने के भाव में बदलाव होगा। उन्होंने ने महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपने परिवार में बेटे बेटियों को समान समग्र दृष्टि से देखे। समाज में कहीं भी महिला पर अत्याचार होता है तो उसके विरोध में समूहिक रूप से अपनी आवाज को बुलंद करना होगा। उन्होंने बताया कि वैदिक काल से लेकर वर्तमान दौर तक हर क्षेत्र में महिला अग्रिणी भूमिका में रहीं है, फिर भी महिला को कमजोर आंका जाता है। इसके लिए कहीं ना कहीं हम स्वयं जिम्मेदार हैं। हमे अपने सनातन चिंतन को जागृत करते हुए समाज व राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका स्वयं निर्धारित करनी होगी। इसलिए ही संवर्धिनी समागम का आयोजन सम्पूर्ण भारतवर्ष में हो रहा है। हमे गर्व है कि हमने भारत जैसे महान देश में जन्म लिया है। भारत देश ही है जो सर्वे भवन्तु सुखिनः की अनुपालना करता है। आवश्यकता है भारत की नारी को अपनी सनातन शक्ति की पहचान करके उसे आत्मसात करने की। आपको आपकी शक्ति का अहसास कराने के लिए ये सँवर्धनी समागम सार्थक साबित होगा।
कार्यक्रम समापन अवसर पर मुख्यवक्ता दिल्ली प्रान्त सह सेवा प्रमुख श्रीमती ज्योति राठी ने भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका विषय पर बोलते हुए उपस्तिथ महिलाओं को उनकी शक्ति से उन्हें परिचय कराया। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमने भारत की सनातन संस्कृति में जन्म लिया है। यह नारी की शक्ति ही थी कि सावित्री अपने सत्यवान के प्राण यमराज से वापिस ले आई। उन्होंने मीराबाई, द्रोपदी, दुर्गावती, सीता, पद्मावत, रानी चेनम्य लक्ष्मी बाई के अनेक उदाहरण देकर बताया कि जब जब नारी शक्ति ने अपनी शक्ति का प्रयोग किया विजय अवश्य मिली है। उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य समाज को संवारने में नारी की सर्वदा महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जागरूक नारी शक्ति के बिना किसी भी विकसित राष्ट्र की भारत की प्राचीन अवधारणा को साकार नही किया जा सकता है। हमे पाश्चात्य संस्कृति नही बल्कि भारत की सात्विक संस्कृति को अपनाकर अपने बच्चों को संस्कार देने होंगे। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय नारी शक्ति का आगाज हो रहा है। गगन से धरा तक हर क्षेत्र में नारी अपनी क्षमता का लोहा मनवा रही है। इस गणतंत्र दिवस परेड में जिस तरह से नारी का परिचय हुआ उससे यह तो स्पष्ठ हो गया कि जब नारी ठान लेती है तो उसके लिए कुछ भी असम्भव नही है। समापन सत्र की अध्यक्षता कर रही सुश्री सुषमा यादव जी उप कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यायल पाली ने कहा की महिला बिना घर घर नहीं होता, राष्ट्र निर्माण में प्रमुख पात्र महिला है।
इस अवसर पर मुख्यातिथि सुश्री नीतू घनघस का मानना है कि महिला हर रोज संघर्ष करती है। हमारा जीवन प्रारम्भ से संघर्षशील रहा है। उनके अनुसार मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत। उन्होंने कहा कि हमे कभी हार न मानने की जिद करनी होगी। सकारात्मकता का भाव रखना होगा। विसिष्ठ अथिति श्रीमती रजनी तनेजा ने भी महिलाओं की रचनात्मक भूमिका पर प्रकाश डाला। समागम में मौजूद महिलाओं का आह्वान किया कि बेटियों को पढ़ने व खेलने की और प्रोत्साहन करना चाहिए। बेटियों को मंगलसूत्र बाद में पहनाना उससे पहले उनके गले में मेडल आने दो।
रविवार को रेवाड़ी बवाल रोड पर स्थित वृंदा गार्डन नारी शक्ति के उत्साह से सराबोर था। यह अनूठा कार्यक्रम था। जहां कार्यकम करने वाली महिला थी तो कार्यक्रम में आने वाली भी महिला ही थी। व्यवस्था करने वाली भी महिलाएं थी तो मंच पर बैठने और उद्बोधन करने वाली भी महिलाएं ही थी। पंजीकरण करने वाली भी नारी शक्ति थी तो प्लास्टिक व रसायन मुक्त पर्यावरण का संदेश देने वाली भी महिलाएं थी । साज-सज्जा व रंगोली बनाने वाली भी महिलाएं थी यानी हर रंग में महिलाएं ही थी। संवर्धिनी समागम का आयोजन ग्रामीण महिलाओं से लेकर शहरी महिलाओं पर छाप छोड़ गया। ग्रामीण क्षेत्र से महिलाओं का कहना था कि ऐसे प्रेरक कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र में भी आयोजित होने चाहिए, इससे महिलाओं को अपनी असीम शक्ति का अहसास तो होगा ही साथ ही राष्ट्र निर्माण से लेकर सामाजिक भूमिका के प्रति सजगता भी बढ़ेगी। केशव लोक सेवा न्यास ने संवर्धनि समागम का आयोजन करके महिलाओं को उनकी सोई शक्ति का जागरण करने पवित्र कार्य किया है। अब देश की महिला भी जोखिम वाले सेना में भर्ती होकर अपनी शक्ति के अनुरूप कार्य का दम्भ दिखा रही है। ऐसे कार्यक्रम से निश्चित ही महिलाओं को उनकी शक्ति का अहसास होगा जो आने वाले समय में जागरूक समाज परिवर्तन में अपनी भूमिका निभा सकती है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें