ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। शिक्षक केवल समाज का ही नेता नहीं होता बल्कि राष्ट्र निर्माता भी होता है। शिक्षक के कंधों पर देश के उन्नत भविष्य निर्माण का दायित्व होता है। शिक्षण, केवल वेतन प्राप्त करने के लिए पेशा नहीं है बल्कि समाज और देश सेवा का माध्यम है। यह एक तकनीकी शिक्षा है जिसके बल पर एक कुशल एवं दक्ष शिक्षक बनकर छात्रों की विभिन्न समस्याओं का समाधान कर सकता है। शिक्षण कौशल के विकास के लिए देश में अनगिनत सेवा पूर्व और सेवाकालीन सरकारी एवं गैर सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज खोले गए हैं। कुशल एवं दक्ष शिक्षक तैयार हो इसके लिए एनसीटीई ने टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के लिए बेहतर पाठ्यक्रम और दिशानिर्देश भी दिए हैं। ट्रेनिंग कॉलेजों के प्रशिक्षुओं लिए 75% सैद्धांतिक वर्ग कक्ष संचालन के साथ साथ चार माह का शत् प्रतिशत संबंधित सरकारी विद्यालयों में टीचिंग प्रैक्टिस करना जरूरी किया गया है। दूर्भाग्य है कि सूबे में कुकुरमुत्ते की तरह गैर सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज खुल गए हैं जिसमें अधिकतर ऐसे टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं जो केवल डिग्री बेचने
का काम कर रही है। ऎसे टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में प्रशिक्षुओं का ना तो नियमित रूप से सैद्धांतिक कक्षा होती है और ना ही संबंधित सरकारी विद्यालयों में चार माह तक लगातार प्रैक्टिस टीचिंग? प्रशिक्षुओं के अभिभावकों द्वारा ट्रेनिंग कॉलेज प्रबंधकों से 75% उपस्थिति और प्रैक्टिस टीचिंग से फरार रहने के लिए संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक से सेटिंग रहता है। सवाल उठता है कि केवल ट्रेनिंग का प्रमाणपत्र लेकर क्या योग्य,कुशल एवं दक्ष शिक्षक बन पायेंगे? ऐसे शिक्षक से क्या आशा की जा सकती है कि जिस भी विद्यालयों में शिक्षक बनेंगे वहां के छात्रों का बेहतर भविष्य निर्माण कर सकेंगे? क्या ऐसे शिक्षकों से विद्यालय का माहौल दुसित नहीं होगा? नयी शिक्षा नीति 2020 में जिस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राप्त करने की बात की गयी है, ऐसे डिग्री बांटने वाले टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की मान्यता जब तक रद्द नहीं होगी तब-तब ना तो आदर्श शिक्षक निर्माण हो सकता है और ना ही राष्ट्र निर्माता। जरूरत इस बात की है कि सरकार का ध्यान गैर सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की दुकानदारी पर लगाने की है ताकि आदर्श शिक्षक एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य हासिल किया जा सकें।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।
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