रेवाड़ी ज़िले में 16 मार्च से निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत कार्डधारकों को मुफ़्त मिलने वाले इलाज की सेवाएँ नहीं मिल पाएंगी। चिकित्सकों की राज्य इकाई हरियाणा IMA के आह्वान पर ज़िले के आयुष्मान पैनल पर सभी अस्पतालों ने 16 मार्च से आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं करने का निर्णय लिया है। IMA रेवाड़ी के पदाधिकारियों ने इसको लेकर जिला कलेक्टर DC राहुल हुड्डा व मुख्य चिकित्सा अधिकारी CMO डॉक्टर सुरेंद्र कुमार को ज्ञापन दिया।
IMA रेवाड़ी के अध्यक्ष डॉक्टर दीपक यादव ने कहा कि इंडियन मेडिकल असोसिएशन हरियाणा इकाई की ओर से हमारी माँगो को लेकर आयुष्मान भारत हरियाणा के CEO को पत्र भेजा गया है व कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भी पत्र लिखा था मगर अब तक भुगतान नहीं किया गया है ।
बता दें प्रदेश के अलग बार लगभग 76 निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत पैनल पर है, केंद्र सरकार से लगभग 200 करोड़ लेने हैं और रेवाड़ी ज़िले में तक़रीबन 25 अस्पताल आयुष्मान कार्डधारकों को सेवा दे रहे हैं और उन्हें तक़रीबन 5 से 6 करोड़ का अधिक का भुगतान किया जाना है ।
IMA रेवाड़ी की आयुष्मान कमिटी के चेयरपर्सन डॉक्टर राम बाबू यादव कहते हैं कि आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को योजना से लाभ मिल रहा है निजी अस्पताल इलाज करते हैं मगर कई माह से भुगतान नहीं हो रहा है इसलिए निजी अस्पताल बहूत परेशानी में है और इसी कारणवश 16 मार्च से किसी भी आयुष्मान धारक मरीज़ का इलाज नहीं करेंगे ।
IMA रेवाड़ी की सचिव डॉक्टर नीरज यादव ने बताया कि हरियाणा सरकार के साथ हुए समझौते के मुताबिक़ आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने आने वाले मरीज़ों के बिल का भुगतान निजी अस्पताल को 15 दिन के अंदर करना होता है लेकिन यहाँ तीन साल बाद भी पैसों का भुगतान नहीं किया जा रहा है छह महीने बाद सरकार बिना कारण बताए 70 प्रतिशत कटौती करके भुगतान कर रही है । इस संबंध में कई बार स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों से मीटिंग हुई है लेकिन पूरी पेमेंट नहीं हो रही है।
इसके अलावा अन्य माँगें हैं :
1. पहले अप्रूवल देने के बाद भी भुगतान करते समय 50-90प्रतिशत तक पैसा काट लिया जाता है जिसका कोई औचित्य नहीं है न ही इसके बारे में कोई सुनवाई की जा रही है
2. आयुष्मान भारत स्कीम में पिछले छह साल से रेट में कोई उचित बदलाव नहीं किया गया है
3. समझौते के मुताबिक़ बिलों का भुगतान 15 दिन के अंदर सुनिश्चित करना चाहिए । देरी से होने वाले भुगतान पर क़ानूनन ब्याज दिया जाना चाहिए और बिना कारण भुगतान में कटौती नहीं की जानी चाहिए।
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