बीजेपी की प्रदेश प्रवक्ता वंदना पोपली ने संदेशखाली में हो रही दुर्भाग्यपूर्ण और लज्जाजनक घटनाओं पर ममता बनर्जी तथा इंडी गठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा इससे ज्यादा संवेदनहीनता और निर्लज्जता नहीं हो सकती, जब महिला मुख्यमंत्री के राज्य में ऐसे घटना हो और शासन प्रशासन अपराधियों का साथ दे। संदेशखाली की पीड़ित महिलाएं जो कह रही है, वह शासन तंत्र को शर्मिदा कर देने हेतु पर्याप्त हैं। इस क्षेत्र की महिलाएं बताती हैं कि तृणमूल कांग्रेस के लोग गांव में घर-घर जाकर सर्वे करते हैं और महिलाओं को उठाकर पार्टी ऑफिस ले आते हैं और फिर महीनों रखकर इनका शोषण करते हैं। आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से यह लज्जाजनक वक्तव्य आता है कि उन्हें संदेशखाली क्षेत्र में कोई भी महिला बलात्कार, यौन उत्पीड़न आदि की शिकायत नहीं मिली है। इसमें हैरानी की कोई बात नहीं, जब राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन को खड़े हो कर शिकायत दर्ज करनी पड़ी।
वन्दना पोपली ने इंडी गठबंधन पर भी कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि क्या इससे शर्मनाक कुछ हो सकता है, जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कहे कि बंगाल में तो ऐसा होता ही रहता है। क्या कांग्रेस ने सारी नैतिकता छोड़ दी है या राजनीति पर कुर्बान कर दी है। सत्ता में आना और राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री बनाना ही मुख्य उद्देश्य रह गया है। क्या देश की जनता के बारे में सोचना सेलेक्टिव हो कर रह गया है कि अगर गैर भाजपा शासित राज्य में कोई अत्याचार होगा तो उस पर कांग्रेस आवाज़ नहीं उठाएगी। कांग्रेस और बाकि विपक्षी दलों के किसी नेता का कोई बयान ना आना उनकी राजनीती की शुचिता और नैतिकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की महिलाओं ने जो आज उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह हर प्रकार से प्रशंसनीय है। बंगाली लोकोक्ति हैं "थेलाई ना पोरले बेरल गाछे ओथे ना" अर्थात् आपकी समस्याओं से पार पाने हेतु आपको उस समस्या का सामना करना ही होगा। तृणमूल समर्थकों के साथ गांव वालों की मारपीट के दूसरे दिन से ही महिलाएं पूरे साहस के साथ लाठी-बांस लेकर सड़कों पर उतर गयीं। तृणमूल नेता शाहजहां के ताप-प्रताप की परवाह न कर उसकी गिरफ्तारी की मांग पर महिलाओं ने प्रदर्शन शुरू किया, जो धीरे-धीरे बड़ा रूप ले चुका है। संदेशखाली के पीड़ितों की मदद में भाजपा के नेता-कार्यकर्ता सड़कों पर उतर पड़े। अब हालात ऐसे हैं कि पूरे संदेशखाली में रोज आंदोलन हो रहे हैं। 55 दिनों के बाद मुख्य आरोपी की गिरफ़्तारी होना यही बताता है कि टीएमसी ने भ्रष्टाचार और अपराध का एक नया मॉडल स्थापित किया है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें