रेवाड़ी-लोकशाही की बड़ी पंचायत लोकसभा चुनाव में इतिहास के अनेक अध्याय समेटे रेवाड़ी क्षेत्र को आज तक अपना गौरवशाली स्थान प्राप्त नहीं हुआ 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में झज्जर की पूंछ बनाकर इसे झज्जर रेवाड़ी सेट कहा गया रेवाड़ी के एक बड़े भाग 52 क्षेत्र को पेप्सू राज्य के साथ अन्य सीट पर जोड़ा गया कांग्रेस की टिकट पर लाल घमंडी लाल बंसल यहां से पहले सांसद निर्वाचित हुए 3 दिसंबर 1914 को रानीखेत में जन्मे बंसल एम ए एलएलबी उच्च शिक्षा प्राप्त विद्वान थे और एक संभ्रांत परिवार से संबंध रखते थे। चुनाव में कुल मतदाता संख्या 3 लाख 82 हज़ार 413 में 2 लाख 46 हजार 224 ने 64.4% मतदान किया। बंसल ने 1 लाख 2 हजार 435 मत प्राप्त कर जीत हासिल की जबकि सी पी आई के प्रताप सिंह दौलता ने 98 हजार 503 मत प्राप्त कर दूसरा स्थान पाया। 1957 के दूसरे चुनाव में सामंती व जातिगत सोच के चलते रेवाड़ी को झझर,गुड़गाँव और महेंद्रगढ़ तीन लोकसभा क्षेत्रों में बांट दिया । इस बार दौलता ने बंसल को लगभग 27 हजार मतों से हरा कर हिसाब बराबर किया। 1962 के चुनाव में रेवाड़ी को महेंद्रगढ़ सीट में शामिल किया गया राव j गजराज सिंह सांसद निर्वाचित हुए ,1967 में भी यथा स्थिति बनी रही । 1971 के चुनाव में एक बार फिर रेवाड़ी का भूगोल बदल गया, गुड़गांव लोकसभा सीट तोड़कर उसे महेंद्रगढ़ संसदीय सीट में बदल दिया गया । राव बीरेंद्र सिंह अपनी विशाल हरियाणा पार्टी से सांसद निर्वाचित हुए । 1977 के छठे चुनाव में जनता पार्टी के तूफान में अहीरवाल के राजा को मनोहर लाल सैनी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा । 1980 के सातवें चुनाव में राव ने हार का बदला लेते हुए अपना दूसरा चुनाव जीता । 1984 और 1989 के चुनाव में जीत हासिल कर राव ने अपनी जीत की हैट्रिक भी पूरी की । 1989 में रेवाड़ी को जिला बनने के बाद भी महेंद्रगढ़ सीट का हिस्सा ही बनाए रखा गया । 1991 के 10 वें चुनाव में कर्नल राम सिंह ने राव को चौका मारने से रोक दिया । 1996 के चुनाव में भी कर्नल ने लगातार दूसरी जीत हासिल कर राव को महल में बैठा दिया । 1998 के चुनाव में राव के बेटे इंद्रजीत सिंह ने कर्नल को हराकर अपने पिता श्री की हार का बदला लिया लेकिन 1999 के मध्य अवधि चुनाव में कारगिल लहर के चलते राव इंद्रजीत सिंह को सुधा यादव ने पटकनी दे दी । 2004 के 14 वें लोकसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने चुनाव जीत कर पटरी पर वापसी की और 2019 का 17वां लोकसभा चुनाव लगातार जीत कर चौका लगाया। 2009 के चुनाव में एक बार फिर रेवाड़ी का भूगोल बदल गया और इसे फिर से गुड़गांव सीट के नीचे लगाया गया । रेवाड़ी जिले की जाटुसाना सीट को कोसली का नाम देकर रोहतक लोकसभा सीट में शामिल किया गया । दुर्भाग्य से आज तक किसी भी सांसद या राजनीतिक दल ने रेवाड़ी को लोकसभा सीट का दर्जा दिलाने की न तो कभी मांग की और न ही इस दिशा में कोई प्रयास ही किया । 2026 के प्रस्तावित परिसीमन में हरियाणा विधानसभा सीटों के साथ लोकसभा सीटों की संख्या में भी बढ़ोतरी होना तय है । क्या रेवाड़ी लोकसभा का अपना अलग अस्तित्व 2026 के परिसीमन में सामने आ पाएगा ?
अनुसूचित जाति की सीटों का विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव की तर्ज पर रोटेशन से कराए जाने का अभियान चलाए हुए सामाजिक कार्यकर्ता राव नरेश चौहान राष्ट्रपूत ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में रेवाड़ी सीट को लोकसभा सीट बनवाने के लिए चुनाव में उतरे उम्मीदवारों को भी प्रयास करने की अपील की है।
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