ग्राम समाचार पाकुड़ न्यूज:- लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें और अंतिम चरण में 01 जून को राजमहल सुरक्षित लोकसभा सीट के लिए मतदान होना है। इस सीट के लिए होने वाले चुनावी जंग में वैसे तो कुल 14 प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन इसमें मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी ताला मरांडी, इंडिया गठबंधन प्रत्याशी विजय कुमार हांसदा एवं निर्दलीय प्रत्याशी लोबिन हेंब्रम के बीच होना तय माना जा रहा है। हालांकि पिछले चुनाव परिणाम के आंकड़ों को देखें तो इस सीट पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी की दावेदारी सबसे अधिक मजबूत मानी जा रही है। इस सीट पर भाजपा केवल दो बार ही अपना परचम लहरा पाई है, जबकि कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों ने अब तक सबसे अधिक छह बार इस सीट पर कब्जा जमाया है। ऐसे में इस सीट पर होने वाला चुनाव मेकब्ला काफी दिलचस्प माना जा रहा है।
भाजपा की जीत की राह भी नहीं होगी आसान आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाता होंगे सबसे बड़ी चुनौती
एक ओर भाजपा ताला मरांडी के सहारे चुनावी नैया पार करने में जुटी है, तो वहीं दूसरी ओर तमाम विरोध के बावजूद इंडिया गठबंधन ने अपने पुराने प्रत्याशी सह झामुमो के सीटिंग सांसद विजय कुमार हांसदा पर ही विश्वास जताया है। हालाकि भाजपा ने अपने चुनावी जंग की दौड़ में ऐसे घोड़ा को मैदान में उतारा है जिन्हे पिछले विधानसभा में पार्टी ने चुनाव लड़ने के लायक भी नही समझा था, ऐसे में इस सीट का चुनाव परिणाम ना केवल प्रत्याशी का बल्कि प्रदेश स्तरीय पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का राजनीतिक भविष्य तय करेगा। यही कारण है कि भाजपा इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पूरे जी जान से जुटी हुई है लेकिन पार्टी को इस सीट पर जीत के लिए अपनों के द्वारा किए जाने वाले संभावित भीतरघात से भी निपटने की बहुत बड़ी चुनौती होगी।
इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी की जीत की राह का कांटा बन सकता है लोबिन हेंब्रम
आंकड़ा की माने तो राजमहल लोकसभा अंतर्गत तकरीबन 62 फ़ीसदी मतदाता आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के हैं, जो हमेशा की तरह इस बार भी पार्टी की जीत की राह का सबसे बड़ा कांटा भी बनता दिख रहा है। वहीं इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी विजय कुमार हांसदा को जीत का स्वाद चखने के लिए अपने ही दल के बागी विधायक सह निर्दलीय प्रत्याशी लोबिन हेंब्रम से पार पाना होगा। पार्टी से बगावत कर लोबिन हेंब्रम बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी जंग में शामिल हुए हैं। लोबिन हेंब्रम का दावा है कि वे वर्ष 1995 में हुए विधानसभा चुनाव की तरह इतिहास दोहराने की राह पर है। वर्ष 1995 में जब झामुमो ने बोरियो विधान सभा सीट के लिए लोबिन का पत्ता काट दिया था तो बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में वे न केवल चुनावी जंग में कूदे बल्कि सीट पर भी अपना परचम भी लहराया था। इस बार भी क्षेत्र में लोगों से मिल रहे अपार जन समर्थन को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि झामुमो के सिटिंग सांसद सह इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी विजय कुमार हांसदा के लिए इस बार चुनावी डगर आसान नहीं होगा। चुनाव में आदिवासियों और अल्पसंख्यकों का मत विभाजन के लिए विपक्षियों के द्वारा बनाई गई रणनीति और इसके तहत चुनावी मैदान में कूदे लोबिन हेंब्रम के आलावा ऑल इंडिया मजलिस ए इत्ते हादुल मुस्लि मिन समेत अन्य कई दलों के प्रत्याशी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी सह सीटिंग सांसद विजय कुमार हांसदा की चुनावी सेहत पर कितना असर डाल पाएगा यह तो 4 जून को होने वाले मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा।
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