Godda News: नीट पेपर लीक मामले का उद्वेदन देवघर से 6 आरोपी गिरफ्तार

      30 लाख में पेपर खरीद 40 लाख में बेचा



ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- नीट प्रश्न पत्र लीक मामले के तार झारखंड से भी जुड़ने लगे हैं। इस मामले में बिहार पुलिस ने देवघर से छह आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपित देवघर जिले के देवीपुर थाना क्षेत्र स्थित एम्स के नजदीक झुनू सिंह के मकान में किरायेदार बनकर रह रहे थे। सभी आरोपित पटना के शास्त्रीनगर थाना (काण्ड संख्या-358/2024) में दर्ज मामले में संदिग्ध हैं। हालांकि, रेड करने आयी पटना पुलिस ने देवघर पुलिस को बताया था कि यह सभी साइबर ठगी के आरोपित हैं। देवघर पुलिस को शनिवार को इस बात का पता चला कि असल में सभी नीट पेपर लीक मामले में पकड़े गये हैं। गिरफ्तार आरोपितों में बिहार के नालंदा जिले के छविलापुर थाना क्षेत्र स्थित बलदार विगहा निवासी पंकु कुमार, परमजीत सिंह उर्फ बिट्टू, चिन्टु उर्फ बालदेव कुमार, नुरसराय थाना क्षेत्र के दरुआरा निवासी काजु उर्फ प्रशांत कुमार, एकंगरसराय थाना क्षेत्र के अजीत कुमार और राजीव कुमार उर्फ कारू शामिल हैं।जानकारी के मुताबिक पेपर लीक के सरगना संजीव मुखिया के नीचे अमित आनंद और नीतीश काम कर रहे थे। अमित आनंद लाइजनर का काम करता है। नीतीश और अमित आनंद दोस्त हैं। सिकंदर ने अनुराग और आयुष जैसे कई अभ्यर्थियों को पास कराने का ठेका लिया था। चिंटू के मोबाइल पर पेपर के जवाब आए थे। चिंटू ने जवाब पिंटू को दिए और फिर प्रिंटर साथ लेकर चल रहे पिंटू ने सारे सवालों के जवाब प्रिंट किए। चिंटू- पिंटू के जरिए भेजे गए सवालों के जवाब रातों-रात पटना के लर्न एंड प्ले स्कूल भेजे गए, जहां पहले से मौजूद अनुराग और आयुष जैसे छात्रों ने जवाब का रट्टा मारा और अगली सुबह परीक्षा देने गए। नीट पेपर लीक मामले में गिरफ्तार सिकंदर यादवेंद्र मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। पुलिस को पूछताछ में बताया कि उसने 30 से 32 लाख रुपये में पेपर की डील की थी। इसके बाद चार अभर्थियों को उसने पेपर 40-40 लाख रुपये में बेचा था। नीट का पेपर सबसे पहले झारखंड के हजारीबाग से लीक हुआ था। बताया गया कि सिकंदर यादवेंद्र ने दानापुर पटना के आयुष कुमार, समस्तीपुर के अनुराग यादव, रांची के अभिषेक कुमार और गया के शिवनंदन कुमार को पेपर देने की बात कही थी।




पांच मई को होने वाली नीट की परीक्षा के लिये सिकंदर यादवेंद्र ने चारों अभ्यर्थियों को चार मई की रात को पटना के रामकृष्णा नगर में जाकर पेपर सौंपा। उस वक्त अमित आनंद और नीतीश कुमार भी उनके साथ मौजूद थे।इसके बाद रात भर सभी को पेपर रटवाया गया लेकिन पांच मई को पटना के बेली रोड से चारों अभ्यर्थियों को एक झारखंड नंबर की गाड़ी से हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद पेपर लीक के खुलासे हुए थे। जानकारी के मुताबिक सिकंदर का बेटा होमी आनंद का हरमू स्थित इन्फिनिटी स्पोर्ट्स नामक दुकान चलाता है। वहीं हाउसिंग कॉलोनी में सिंकदर का घर भी है।

*पेपर लीक मामला : जले हुए पेपर पर हजारीबाग का मिला बुकलेट नंबर*

पांच मई को नीट की परीक्षा हुई थी। इस दौरान बिहार पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ स्टूडेंट्स और केंद्र के पास पेपर पहले से पहुंच चुका है और उसे रटवाया जा रहा है। पुलिस जब वहां पहुंची तो जला हुआ पेपर मिला और बुकलेट नंबर 6136488 बरामद किया था। इस पेपर लीक की जांच बिहार पुलिस की एजेंसी कर रही है। वहीं सूत्रों की मानें तो यह बुकलेट हजारीबाग के एक सेंटर का है। इससे यह पता चलता है कि पेपर झारखंड से ही लीक हुआ था। इधर जांच एजेंसी के हेड दिल्ली में मौजूद हैं।




उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट और अबतक की कार्रवाई से एनटीए और शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को अवगत कराया है। जांच एजेंसी की तरफ से अब तक इसको लेकर कुछ नहीं कहा गया है। अब तक की जांच से यह साफ हो गया है कि नूरसराय उद्यान महाविद्यालय का कर्मचारी संजीव मुखिया ही पेपर लीक करने वाले गिरोह का सरगना है। यह गिरोह कई महीनों से साजिश रच रहा था। संजीव को एक प्रोफेसर ने वाट्सएप पर यह पेपर भेजा था।

*10 साल की सजा, 1 करोड़ का जुर्माना, लागू हुआ एंटी पेपर लीक कानून*

नीट और यूजीसी नेट की परीक्षा को लेकर विवाद के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने लोक परीक्षा कानून 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है। बता दें कि यह कानून फरवरी 2024 में ही पारित हो गया था। परीक्षा में नकल के हथकंडों और पेपर लीक पर शिकंजा कसने के लिए कानून लाया गया है। परीक्षा को निष्पक्ष और सुचारु रूप से कराने के लिए कानून में बेहद कड़े प्रावधान किए गए हैं। इस कानून का उद्देश्य परीक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। इसके दायरे में अथॉरिटी द्वारा कराई जाने वाली परीक्षा जैसे यूपीएससी, एसएससी, इंडियन रेलवे, एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाएं और बैंकिंग की परीक्षाएं आएंगी। इस कानून के तहत प्रश्न पत्र या फिर उत्तर का लीक होना शामिल है। इसके अलावा कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़खानी करना भी अपराध के दायरे में आता है। कोई व्यक्ति हो या ग्रुप, परीक्षा में गड़बड़ करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है। इस कानून के तहत फेक परीक्षा करवाना भी अपराध में आता है। अगर कोई व्यक्ति पेपर लीक या फिर नकल करवाने का दोषी मिलाता है, तब उस शख्स को तीन से पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है। वहीं अगर कोई ग्रुप या फिर संगठित तरीके से परीक्षा में गड़बड़ी की जाती है, तब पांच से 10 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान है। ऑर्गानइज्ड पेपर लीक में शामिल लोगों की संपत्ति का भी कुर्क किया जा सकता है। वहीं जो भी परीक्षार्थी नकल करते पकड़े जाएंगे उन्हें परीक्षा से बाहर किया जाएगा। इस कानून में अनफेयर मीन्स के दायरे में क्वेश्चन पेपर या आंसर लीक करना, परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी की मदद करना, सलूशन उपल्ध करवाना, कंप्यूर रिसोर्सेज से खिलवाड़ करना, किसी अभ्यर्थी की जगह पर दूसरे को परीक्षा दिलवाना, फर्जी दस्तावेज जारी करना और मैरिट लिस्ट से छेड़छाड़ करना शामिल है। इस कानून के तहत अपराध गैरजमानती हैं। इसके अलावा डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस या फिर असिस्टेंट कमिश्नर से नीचे का अधिकारी कानून के तहत जांच नहीं कर सकता है। वहीं केंद्र सरकार किसी भी एजेंसी को जांच सौंप सकती है।

अमरेंद्र कुमार सिंह (बिट्टू):-

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Editor - भुपेन्द्र कुमार चौबे, ब्यूरो चीफ गोड्डा ।

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