ग्राम समाचार बोआरीजोर, गोड्डा। गोड्डा जिले में स्थित राजमहल परियोजना ललमटिया कोयला खदान से प्रभावित गांवों में पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है। लोहांडिया गांव के निवासियों को पर्याप्त पानी की सुविधा नहीं मिल रही है, जिसके कारण स्थानीय लोग मजबूर होकर खदान को जाम कर रहे हैं। खदान विस्तार के लिए ग्रामीणों ने अपनी जमीन दी, लेकिन बदले में उन्हें भुक्तभोगी बनना पड़ रहा है।
गर्मी के मौसम में कुओं और चापाकलों में भी पानी नहीं है, और लोग पानी के टैंकर पर निर्भर हैं। यह पानी का संकट लम्बे समय से बना हुआ है, और राजमहल परियोजना ललमटिया कोयला खदान क्षेत्र के प्रभावित गांवों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया है। इस तस्वीर में दिख रहे लोग राजमहल परियोजना ललमटिया कोयला खदान क्षेत्र के हैं। ये लोग पानी की कमी और बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। खदान से प्रभावित इन गांवों में पानी की गंभीर समस्या है, जिसके चलते इन्हें खदान को जाम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस विरोध का मुख्य कारण यह है कि खदान विस्तार के लिए ग्रामीणों ने अपनी जमीन दी थी, लेकिन बदले में उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। गर्मी के मौसम में स्थिति और भी विकट हो जाती है, जब कुएं और चापाकल में पानी नहीं होता और पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है। गांव में बोरवेल बनाया गया है लेकिन बिजली की पूर्ति नहीं होने के कारण बोरवेल भी बेकार साबित हो रहा है। जो बोरवेल दिया गया है वहां ईसीएल द्वारा बिजली सप्लाई होती है जबकि वह बोरवेल इन लोहांडिया बस्तियों के लिए ही बनाया गया है। ललमटिया कोयला खदान एशिया महादेश का सबसे बड़ा ओपन कोल माइंस माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद स्थानीय निवासियों को उनकी मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। प्रभावित गांवों में पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि ग्रामीणों को इस तरह विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर न होना पड़े। यह आवश्यक है कि खदान के विस्तार और संचालन के साथ-साथ स्थानीय निवासियों की जरूरतों का भी ध्यान रखा जाए। सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को चाहिए कि वे तत्काल प्रभाव से इन गांवों में पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करें, ताकि स्थानीय निवासियों की परेशानियों का समाधान हो सके और खदान के विस्तार कार्य में कोई बाधा न आए।
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