ग्राम समाचार, पथरगामा ब्यूरो रिपोर्ट:- धान का बीज बोने का समय बिता जा रहा है l झारखंड में मानसून के प्रवेश करने की बात भी बताई जा रही है लगता है पथरगामा का रास्ता भूल जाने के चलते अब तक जल देवता इंद्र और वरुण पथरगामा के किसानों के खेत की प्यास नहीं बुझा पाए हैं l आखिरकार जल देवता इंद्र और वरुण की नाराजगी पथरगामा के किसानों पर कब तक रहेगी l लगभग रोज ही बदल गिरते हैं और पानी पड़ने की आशा में किस आकाश की ओर टकटकी लगाकर देखने लगते हैं परंतु उसे मायूसी ही हाथ आ रही है l कुछ किसानों ने जिस किसी तरीके से पानी का व्यवस्था कर धान का बीज रोपा है वह अब बिचड़े को बचाने की जुगत में लग गए हैं l
सूर्य देव अब तक आसमान से आग उगल रहे हैं ऐसे में धान का बिचड़ा कब तक बचेगा यह ऊपर वाला ही जाने l पिछले तीन-चार सालों से पथरगामा की यही स्थिति है l जिसके चलते यहां के किसानों को धान का भरपूर फसल नहीं मिल पा रहा है l धान की खेती में लागत ज्यादा और उपज कम होने के चलते यहां के किसानों की कमर टूटते ही जा रही है l यहां के किसान विषम परिस्थिति में फंस गए हैं अगर खेती छोड़ते हैं तो करेंगे क्या और खेती नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या? पिछले 3 सालों में सुखाड़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए दो दो बार केंद्रीय और राज्य कमेटी ने दौरा किया परंतु उन लोगों ने क्या रिपोर्ट सबमिट किया पता नहीं क्योंकि किसानों को सुखाड़ राहत कभी मिला ही नहीं l ऊपर से घाटा यह हुआ कि फसल बीमा की राशि भी नहीं मिली l
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