संथाल परगना के वीर शहीद सिद्धू कान्हू के प्रतिमा जगह-जगह पर बनाया गया है और उनका माल्यार्पण हर उत्सव में किया जाता है। 30 जून को हुल क्रांति का आगाज करने वाले इस महान वीर सपूत की याद में हर साल हुल दिवस मनाया जाता है। लेकिन इस बार बोआरीजोर प्रखंड कार्यालय में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण नहीं किया गया, जो एक बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं को इस अवसर पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता थी। हुल दिवस के दिन भी माल्यार्पण नहीं किया गया, यह दिखाता है कि समाज के तथाकथित नेता और कार्यकर्ता केवल नाम का उपयोग कर रहे हैं और सच्चे आदर्शों को अपनाने में विफल हो रहे हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि प्रखंड कार्यालय रविवार के दिन बंद था, लेकिन आसपास के संथाल समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता भी इस मौके पर अनदेखी कर गए। बोआरीजोर प्रखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के बावजूद भी यह अनदेखी चिंताजनक है
भोगनाडीह में कई बड़े राजनेताओं ने सिद्धू कान्हू की प्रतिमा को दूध से धोने का काम किया है, लेकिन बोआरीजोर प्रखंड परिसर में बने प्रतिमा पर माल्यार्पण तक नहीं हुआ। यह उन लोगों के लिए तमाचा है जो अपने आपको सिद्धू कान्हू के चहेता बताते हैं।
सिद्धू कान्हू के बारे में चर्चा करने वाले झारखंड प्रदेश के राजनेताओं को इस घटना से शर्मिंदा होना चाहिए। यह प्रतिमा सांसद विजय हांसदा के निधि द्वारा निर्मित की गई है और इसके निर्माण को महज एक साल भी नहीं हुआ है इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व को अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक जागरूक और प्रतिबद्ध होना होगा।
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