ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- जोहार कलमकार मंच झारखंड की गोड्डा जिला शाखा द्वारा रविवार शाम तुलसी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता मंच के संरक्षक सर्वजीत झा "अंतेवासी " ने तथा संचालन जिलाध्यक्ष सुरजीत झा ने किया। बतौर मुख्य वक्ता साहित्यकार शिव कुमार भगत ने तुलसी दास जी के जीवन संघर्ष की चर्चा करते हुए उनके द्वारा रचित सभी प्रमुख ग्रंथों की सूक्ष्म विवेचना करते हुए उनकी रचनाओं को कालजयी बताया। उन्होंने कहा की बनारस के तुलसी का ब्रज एवं अवधि दोनों भाषाओं पर समान रूप से आधिपत्य उनकी अद्भुत क्षमता का द्योतक है। उनका उद्भव मध्यकालीन भारत में तब हुआ जब देश पर मुगलों का शासन था। चित्रकूट के वर्णन को सुन सम्राट अकबर भी उनके मुरीद हुए थे और उन्हें अपने दरबार के दसवें रत्न के रूप में उन्हें न्यौता दिया था जिसे संत कवि तुलसीदास ने विनम्रता के साथ ठुकरा दिया था। अन्य वक्ताओं में डॉ. ब्रह्मदेव कुमार, सत्संग प्रचारक ओम प्रकाश मंडल, सुरजीत झा, शैलेंद्र राम, दिवाकांत पाठक, हिंदी शिक्षिका जयंती कुमारी एवं कवि शैलेंद्र प्रसाद सहित अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री अंतेवासी ने तुलसी दास एवं उनकी रचना पर अपने - अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्हें दुनिया का सबसे महान संत कवि जबकि उनके द्वारा रचित रामचरित मानस को समस्त मानव मात्र के लिए सर्वकालिक सही राह दिखाने वाला महाकाव्य कहा। युवा कवि मनीष सिंह ने राम चरित मानस के दोहों का सस्वर पाठ कर संत कवि को अपनी स्वरंजलि दी। कार्यक्रम का समापन मनीष सिंह द्वारा ही गाए देश भक्ति गीत "ए मेरे वतन के लोगो" के माध्यम से शहादत दिवस के अवसर पर देश के सबसे युवा शहीद खुदीराम बोस को स्वरांजली से हुआ। कार्यक्रम में उक्त वक्ताओं के अलावा संजीव झा, अखिल कुमार झा, आशुतोष झा, ऋषितोष झा, अमरेंद्र सिंह, रिम्मी कुमारी, साक्षी कुमारी, राजेंद्र प्रसाद, भोला पासवान, मतिष कुमार झा, मुकेश कुमार भारती, राजेश राजा, ओम कुमार मिश्रा, राम जीवन मांझी आदि शामिल हुए।
Godda News: जोहार कलमकार मंच ने किया तुलसी जयंती समारोह का आयोजन
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- जोहार कलमकार मंच झारखंड की गोड्डा जिला शाखा द्वारा रविवार शाम तुलसी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता मंच के संरक्षक सर्वजीत झा "अंतेवासी " ने तथा संचालन जिलाध्यक्ष सुरजीत झा ने किया। बतौर मुख्य वक्ता साहित्यकार शिव कुमार भगत ने तुलसी दास जी के जीवन संघर्ष की चर्चा करते हुए उनके द्वारा रचित सभी प्रमुख ग्रंथों की सूक्ष्म विवेचना करते हुए उनकी रचनाओं को कालजयी बताया। उन्होंने कहा की बनारस के तुलसी का ब्रज एवं अवधि दोनों भाषाओं पर समान रूप से आधिपत्य उनकी अद्भुत क्षमता का द्योतक है। उनका उद्भव मध्यकालीन भारत में तब हुआ जब देश पर मुगलों का शासन था। चित्रकूट के वर्णन को सुन सम्राट अकबर भी उनके मुरीद हुए थे और उन्हें अपने दरबार के दसवें रत्न के रूप में उन्हें न्यौता दिया था जिसे संत कवि तुलसीदास ने विनम्रता के साथ ठुकरा दिया था। अन्य वक्ताओं में डॉ. ब्रह्मदेव कुमार, सत्संग प्रचारक ओम प्रकाश मंडल, सुरजीत झा, शैलेंद्र राम, दिवाकांत पाठक, हिंदी शिक्षिका जयंती कुमारी एवं कवि शैलेंद्र प्रसाद सहित अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री अंतेवासी ने तुलसी दास एवं उनकी रचना पर अपने - अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्हें दुनिया का सबसे महान संत कवि जबकि उनके द्वारा रचित रामचरित मानस को समस्त मानव मात्र के लिए सर्वकालिक सही राह दिखाने वाला महाकाव्य कहा। युवा कवि मनीष सिंह ने राम चरित मानस के दोहों का सस्वर पाठ कर संत कवि को अपनी स्वरंजलि दी। कार्यक्रम का समापन मनीष सिंह द्वारा ही गाए देश भक्ति गीत "ए मेरे वतन के लोगो" के माध्यम से शहादत दिवस के अवसर पर देश के सबसे युवा शहीद खुदीराम बोस को स्वरांजली से हुआ। कार्यक्रम में उक्त वक्ताओं के अलावा संजीव झा, अखिल कुमार झा, आशुतोष झा, ऋषितोष झा, अमरेंद्र सिंह, रिम्मी कुमारी, साक्षी कुमारी, राजेंद्र प्रसाद, भोला पासवान, मतिष कुमार झा, मुकेश कुमार भारती, राजेश राजा, ओम कुमार मिश्रा, राम जीवन मांझी आदि शामिल हुए।
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