रेवाड़ी में "सरकारी स्कूल सुधारों अभियान" की शुरुआत की। समाजसेवी संजय शर्मा के नेतृत्व में रेवाड़ी के पीड़ित अभिभावकगण ने बैठक कर मुहिम चलाने का एलान किया।
रेवाड़ी शहर के रामबास मौहल्ले की सैनी चौपाल में गांव/शहर के पीड़ित पैरेंट्स एवम् प्रबुध जागरूक नागरिकों की मीटिंग आयोजित की गई। जिसमें सरकारी स्कूलों की बदहाली और अधिकांश प्राईवेट स्कूलों में शिक्षा के व्यापारीकरण पर गहनता से चर्चा की गई। इस मौके पर अभिभावक मुरारीलाल शर्मा, अजीत सिंह यादव सेवानिवृत शिक्षक, मदन लाल सैनी सेवानिवृत शिक्षक, शिव कुमार यादव, नीरज यादव, सुनील डाटा, रवि अग्रवाल, मामचंद छाबड़ी, खुशीराम सैन, आजाद सिंह, फूल सिंह, सत्यवीर सिंह, पवन शर्मा, रामौतार सीकरीवाल, मोतीलाल सैनी, शंकर ग्रोवर, विनोद शर्मा, हीरालाल आदि लोग मौजूद रहे।
बैठक को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी संजय शर्मा ने बताया कि 30 से 40 साल पहले सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा था और सरकारी स्कूलों में पढ़े हुए बच्चे डॉक्टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर, जज, एडवोकेट ईत्यादि बनकर एक खुशहाल जीवन व्यतीत करते थे। धीरे धीरे एक राजनैतिक साजिश के तहत सरकारी स्कूलों को ख़राब करना शुरू किया गया जिसके कारण पैरेंट्स ने अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर दिया। अप्रत्यक्ष रूप से राजनैतिक संरक्षण मिलने की वजह से इन प्राईवेट स्कूलों ने पैरेंट्स को लूटना शुरू कर दिया और आज तो पूरी शिक्षा को एक बड़े व्यापार में बदल दिया है। गांव देहात क्षेत्र के स्कूलों में कम बच्चे होने के कारण आसपास के तीन चार गांवों के स्कूल को एक गांव में ही मिला दिया है। अब गरीब मज़दूर अपने बच्चों को तीन चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल में रोजाना छोड़कर नही आ सकता और ना ही छुट्टी होने पर वापिस ला सकते हैं। क्योंकि उसे रोज़ाना दिहाड़ी पर मजदूरी के लिए काम पर जाना पड़ता हैं। ऐसे में उस गरीब के बेटे और बेटी अनपढ़ ही रह जायेंगे। और सरकार का *बेटी बचाओ।* *बेटी पढ़ाओ।* का नारा एक कागज़ी नारा ही बनकर रह गया है। एक तरफ़ सरकार सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा सुधार का दावा कर रही हैं वही दूसरी तरफ़ राज्य सरकार अपने अधीन काम करने वाले सभी विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों को उनके बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्रत्येक बच्चे के 1125 रूपये प्रति महीना शिक्षा भत्ता भी देती हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता हैं कि सरकार स्वयं यह कबूल करती हैं कि हमारे स्कूलों में अच्छी शिक्षा नही दी जा रही हैं। इसलिए हम सभी को मिलकर सरकारी स्कूलों में शिक्षा सुधार को लेकर एक बड़ा जनांदोलन तेज़ करना होगा। इसके लिए "*सरकारी स्कूल सुधारो"।* अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए हम सरकार से सामूहिक रूप से यह लिखित मांग करेंगे कि हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सरकारी शिक्षक एवम् अन्य विभागों के सभी कर्मचारियों/अधिकारियो के बच्चों की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में ही अनिवार्य करने का कानून इसी वर्ष मानसून सत्र में विधानसभा से पारित करवाया जाए और अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इसे लागू किया जाएं। यह मांगपत्र तैयार करके इस पर गांव/शहर के मोहल्लों के लोगों से हस्ताक्षर करवाकर मुख्यमंत्री जी एवम् शिक्षा मंत्री जी को प्रशासन के मार्फत भेजा जायेगा। जनहित की यह मांग पूरी होने पर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के स्तर में रातों रात क्रान्तिकारी बदलाव देखने को मिलेगा। इस अभियान को सफल बनाने में सभी लोगो ने भरपूर सहयोग करने का आश्वासन दिया।
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