Godda News: हिंदी दिवस सप्ताह के तहत विचार सह काव्य गोष्ठी आयोजित की गई



ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:-   जोहार! कलमकार मंच झारखंड की गोड्डा जिला शाखा द्वारा हिन्दी दिवस सप्ताह के तहत मंगलवार को स्थानीय हटिया चौंक अवस्थित ऐतिहासिक सोबरन मांझी जिला पुस्तकालय के वाचनालय में "बाजारवाद एवं हिन्दी" विषयक विचार - गोष्ठी एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि जिला खेलकूद, कला - संस्कृति एवं पर्यटन (नोडल) पदाधिकारी डॉ. प्राण महतो ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। स्वागत संबोधन लाइब्रेरियन विवेक कुमार का रहा। अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डॉ. महतो ने कहा कि हिंदी को और भी सशक्त एवं सर्वव्यापी बनाने की जिम्मेवारी हम हिन्दी पट्टी के नागरिकों की सबसे पहले और सबसे अधिक है। हमें अधिक से अधिक उच्च कोटि के लेखकों और कवियों को पढ़ना चाहिए। घर में किताबें होंगी तो घर के बच्चों की भी रुचि जगेगी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सारी जानकारियां विश्वसनीय नहीं होती। आगे उन्होंने कहा कि लोरी के रूप में हिंदी में बच्चों को सुलाने की भी शक्ति है और गरुड़ पुराण के हिंदी अनुवाद में वो शक्ति है कि मृत्यु शैय्या पर पड़े व्यक्ति को दुनिया के माया - मोह से विरक्त कर देती है। अधिवक्ता एवं लेखक सर्वजीत झा "अंतेवासी" की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी का संचालन मंच के जिलाध्यक्ष सह प्रदेश उपाध्यक्ष सुरजीत झा ने किया। वक्ताओं में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि एवं लेखक विनय सौरभ ने अपने विषयक व्याख्यान में कहा कि बाजार को अपने वित्तीय लाभ - हानि से मतलब है, उसे भाषा के विकास से कोई लेना - देना नहीं। आज हिंदुस्तान में सभी मल्टीनेशनल कंपनियां अपने उत्पाद का प्रचार हिंदी के स्लोगन से कर रही हैं जो इस बात का प्रमाण है की हिन्दी की स्वीकार्यता दिनानुदिन बढ़ती जा रही। उन्होंने प्रत्येक परिवार से हिन्दी साहित्य की पुस्तकों को खरीदने के लिए अपनी कमाई का एक छोटा - सा अंश खर्च करने की अपील की। कहा की इससे हिन्दी कदम - दर - कदम आगे बढ़ेगी ना कि हिन्दी दिवस मनाने भर की औपचारिकता से। बतौर वक्ता वरीय साहित्यकार शिव कुमार भगत, युवा साहित्यकार मुकेश कुमार, रेल कर्मी साहित्यकार शैलेंद्र राम, जवाहर नवोदय विद्यालय के शिक्षक अमरेंद्र कुमार एवं अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री अंतेवासी ने विषयक विचार व्यक्त करते हुए हिन्दी के विस्तार को संतोषजनक एवं गौरवशाली बताया और एक स्वर में कहा की वोट बैंक की गंदी राजनीति ने इसे आज तक राष्ट्रभाषा नहीं बनने दिया जो राष्ट्रीय शर्म की बात है। दूसरी ओर कवि गोष्ठी की शुरुआत मनीष सिंह के व्यंग्य "हिन्दी हैं हम वतन हैं" से हुई। इसके बाद शैलेंद्र प्रसाद ने "सफर शुरू कीजिए शाम के बाद" से राज्य और समाज की वर्तमान विधि - व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष किया। प्रो. ओम प्रकाश मंडल ने भारत रत्न से सम्मानित समाज शास्त्री स्व. कर्पूरी ठाकुर जी के जीवनवृत्त पर आधारित अपनी कविता से खूब प्रशंसा पाई। डॉ. ब्रह्मदेव कुमार ने हिन्दी की महत्ता को रेखांकित करती अपनी रचना से खूब तालियां बटोरी। यूनिक करियर पब्लिक स्कूल की प्राचार्या कवियित्री अर्पणा कुमारी की एक शहीद सैनिक की जीवन संगिनी के दर्द को उकेरती स्वरबद्ध ओजस्वी रचना ने कुछ देर के लिए माहौल को जज्बाती बना दिया। संचालक सुरजीत झा की दंगा पर आधारित अतुकांत कविता "दंगा : एक शैतानी उत्सव" को भरपूर वाहवाही मिली। शैलेंद्र राम की रचना "हिन्दी हमारी जान है, हिन्दी हमारी पहचान है" भी श्रोताओं द्वारा सराही गई। युवा लेखक एवं कवि मुकेश कुमार की प्रस्तुति "जनता तब भी परेशान थी, जनता आज भी परेशान है" पर खुब तालियां बजीं। अंत में विनय सौरभ की देश व्यापी चर्चित रचना "खान बहुरूपिया" को सबसे ज्यादा सराहना मिली। गोष्ठी में उपस्थित साहित्यप्रेमी गण्यमान्यों में विद्यापति सांस्कृतिक परिषद अध्यक्ष परमानंद चौधरी, प्राइवेट स्कूल एसोसियेशन झारखंड के कोषाध्यक्ष शशिकांत गुप्ता, अधिवक्ता विनय कुमार ठाकुर, समर्थ सेवा क्लब की सदस्या रिम्मी कुमारी, रूपम झा व पुतुल देवी, शिक्षक मणिकांत कुमार व अनंत कुमार तिवारी, प्रसिद्ध पहलवान राहुल कुमार एवं रौशन कुमार साह, आलोक कुमार, रवि कुमार यादव एवं शिवम कुमार की उपस्थिति प्रमुख रही। गोष्ठी के अंत में मुख्य अतिथि सहित सभी प्रतिभागी वक्ताओं एवं कवियों को मोमेंटो प्रदान कर उनका सम्मान किया गया।

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Editor - भुपेन्द्र कुमार चौबे, ब्यूरो चीफ गोड्डा ।

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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