अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस पर प्रकृति के संरक्षण में आर्टिस्ट प्रीति काम्या को सम्मानित करते हुए आरके जांगड़ा व अमन यादव। |
पर्यावरण व जल संरक्षण, संस्कृति और मानव जीवन के संकल्प के साथ अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस पर बाल भवन गार्डन रेवाड़ी में संगोष्ठी का आयोजन "ग्रीन इंडिया क्लीन इंडिया" एवं स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार के तत्वाधान में किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आर्टिस्ट अमन यादव ने कहा पर्वत प्रकृति के अनमोल रत्न है जिन्हें हमें संरक्षित करना चाहिये। यह दुनिया की प्रमुख नदियों का स्रोत है और जल चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह लोगों को पर्यावरण में परिवर्तन की भूमिका और उसके जीवन पर प्रभाव को समझने के लिए शिक्षित करता है। यह दिवस पर्वतों के विकास और उनसे मिलने वाले अवसरों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। आर्टिस्ट राकेश ने कहा पहाड़ प्रकृति की सबसे सुंदर रचनाओं में से एक है यह विशाल और मजबूत संरचनाओं आसमान के खिलाफ खड़ी होती है। यह कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है और ढलानों पर उत्पादन के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करते हैं। विशेष आमंत्रित सामाजिक कार्यकर्ता प्रोफेसर डॉ.जया शर्मा ने कहा ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से बचने हेतु प्रकृति का संतुलन बने रखना अति आवश्यक है। हमें पहाड़ों के विकास के अवसरों और चुनौतियों को उजागर करने की आवश्यकता है। पहाड़ों के संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करना एवं पहाड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर आरके जांगड़ा विश्वकर्मा सदस्य स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार एसटीएफ ने कहा पर्यावरण व जल संरक्षण, संस्कृति और मानव जीवन के संकल्प के साथ अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में कहा पहाड़ों की पारिस्थितिकी प्रणाली जैव विविधता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यह कई प्रकार की वनस्पति और जीवों के लिए आश्रय प्रदान करती है जो पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है। उन्होंने कहा पहाड़ों से आने वाला पानी हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा का भी स्रोत है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को पर्वतों के संरक्षण की आवश्यकता और उनसे जुड़े खतरों के प्रति जागरूक करना है। जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक दोहन के कारण आज पर्वतों पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं इसलिए उनका संरक्षण बेहद जरूरी है। यह दिवस सतत भविष्य के लिए पर्वतीय समाधान- नवाचार, अनुकूलन,युवा और उससे आगे की थीम पर मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन में संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र का प्रबंध तट पर्वत विकास के तहत अपनाया गया। यह पर्वत विकास के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने कहा पर्वत हमारे पर्यावरण जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है इनसे जुड़े तत्वों को जानना ने केवल ज्ञानवर्धक है बल्कि इनके संरक्षण की आवश्यकता को समझना भी जरूरी है। पहाड़ों की अनूठी स्थलाकृति और जलवायु में अलगाव के कारण वह कई तरह की जीव जंतु पाए जाते हैं। उन्होंने कहा पृथ्वी के 27 प्रतिशत भू भाग पर पहाड़ है। दुनिया की 15% आबादी पहाड़ों में रहती है। उन्होंने कहा पार्वती लोगों और पर्यावरण के लिए सकारात्मक बदलाव लाने के लिए गठबंधन बनाना आवश्यक है। हम सभी को संकल्प के साथ पहाड़ों के संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करने की आवश्यकता है। आज अवैध खनन को रोकर पहाड़ों को संरक्षित करना आज की समय की आवश्यकता है अन्यथा पर्यावरण व जल एवं अन्य संसाधनों का आने वाले समय में अभाव हो जाएगा। उन्होंने कहा पहाड़ों से ही हमें ताजा पानी स्वच्छ ऊर्जा भजन और मनोरंजन मिलता है। संगोष्ठी में लाइव पेंटिंग और कलाकृतियां द्वारा लोगों को पर्यावरण व जल एवं प्रकृति संरक्षण एवं पहाड़ों के बचाव हेतु कलाकृतियों के माध्यम से सामाजिक जागरूकता का कार्य करने वाले आर्टिस्ट काम्या,प्रीति, प्रवीण रेहान,राकेश,अमन यादव,अजीत यादव,मुकेश को अंग वस्त्र,गीता और तुलसी का पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया। डॉ. विश्वकर्मा ने आमजन से हमारी प्रकृति के संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपील की। इस अवसर पर विनय सिंह, मुकेश कुमार, अमन यादव, अजीत सिंह, राम सिंह, धरिवर्धन सिंह आदि अनेक आर्टिस्ट विशेष रूप से उपस्थित थे।
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