ग्राम समाचार, रांची। राज्य सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी पूजा सिंघल को निलंबन मुक्त कर दिया है। इसकी अधिसूचना कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग ने जारी कर दी है। श्रीमती सिंघल को सात दिसंबर 2024 के प्रभाव से निलंबन मुक्त किया गया है। वह इसी तिथि को पीएमएलए कोर्ट से जमानत पर रिहा हुई थीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, निलंबन समीक्षा समिति द्वारा उनके निलंबन पर विचार किया गया। इसके बाद निलंबन मुक्त करने की अनुशंसा की गयी थी। इसके आलोक में उन्हें निलंबन मुक्त किया गया है। उनके निलंबन अवधि के विनियमन के संबंध में अलग से निर्णय लिया जायेगा।
फिलहाल श्रीमती सिंघल कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग में योगदान देंगी। श्रीमती सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए 2002 की धारा-19 के तहत गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें 12 मई 2022 को निलंबित कर दिया गया था। इस तरह श्रीमती सिंघल करीब दो साल आठ महीने तक निलंबित रहीं। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2000 बैच की अधिकारी हैं। फिलहाल झारखंड में सचिव स्तर पर हैं।
क्यों हुई थी IAS Topper पूजा सिंघल की गिरफ्तारी ?
पूजा सिंघल, एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ मनरेगा घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे। इन आरोपों के कारण ही उन्हें गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने उनके घर से 19 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त की थी।
विशेष रूप से:
- मनरेगा घोटाला: पूजा सिंघल पर आरोप था कि जब वे खूंटी जिले की उपायुक्त थीं, तब उन्होंने मनरेगा योजना के तहत हुए कामों में गड़बड़ी की थी और धन की हेराफेरी की थी।
- मनी लॉन्ड्रिंग: ईडी ने पूजा सिंघल के घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की थी, जिसके आधार पर उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप लगाया गया था।
इन आरोपों की जांच के लिए ईडी ने पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था और लंबे समय तक जेल में रखा गया था। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई और अब उन्हें निलंबन से मुक्त कर दिया गया है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि:
- अभी तक इन आरोपों में पूजा सिंघल को दोषी नहीं ठहराया गया है।
- पूजा सिंघल ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है।
इसलिए, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि पूजा सिंघल दोषी हैं या नहीं। अंतिम फैसला अदालत ही करेगी।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें