ग्राम समाचार, ब्यूरो रिपोर्ट। झारखंड सरकार किसानों के लिए अनेक योजनाओं का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। किसानों को उनके धान का सरकारी मूल्य ₹2400 प्रति क्विंटल के अनुसार देने का वादा किया गया है, लेकिन यह वादा केवल कागजों तक सीमित रह गया है।
झारखंड की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का आश्वासन दिया है। लेकिन गोड्डा जिले के किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। सौभाग्य है गोड्डा जिले में श्रम नियोजन मंत्री संजय प्रसाद यादव और ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका सिंह पांडे जैसे दो मंत्री होने के बावजूद किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
मजबूरी में व्यापारी बने सहारा:
गोड्डा जिले के किसान अपनी धान की उपज व्यापारियों को ₹400-₹500 प्रति क्विंटल के नुकसान पर बेचने को मजबूर हैं। बिचौलियों 1800 से 1900 प्रति क्विंटल पर धान खरीदारी कर रहे हैं। सरकारी लेंम्पस (LAMPS) केंद्रों तक पहुंच पाना और सरकारी मूल्य पर बिक्री करना किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण है। लैम्स में धान बेचने के बाद केवल आधा भुगतान तुरंत किया जाता है, और शेष भुगतान एक महीने बाद होता है। नगद जरूरतों के कारण किसान व्यापारियों के शोषण का शिकार हो रहे हैं।
लेंम्पस की अपर्याप्त व्यवस्था:
जिले में नौ प्रखंडों है प्रत्येक प्रखंड में केवल 2-3 लेंम्पस केंद्र ही मौजूद हैं, जो अधिकांश किसानों की पहुंच से दूर हैं। किसानों को अपने उत्पाद को इन केंद्रों तक ले जाना कठिन है। सरकार को प्रत्येक पंचायत में लेंम्पस खोलने की जरूरत है ताकि किसान आसानी से सरकारी मूल्य पर अपनी उपज बेच सकें।
सरकारी योजनाओं और नियमों की जानकारी के अभाव में किसान जागरूक नहीं हैं। सरकार को किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाने और सरकारी लैम्स केंद्रों को सरल और सुगम बनाने की आवश्यकता है।
अगर किसानों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो व्यापारियों द्वारा खरीदी गई धान बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में भेजी जाती रहेगी। इससे राज्य के राजस्व के साथ-साथ किसानों का भी भारी नुकसान होगा। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं का समाधान करे और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए।
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