Editorial: शराब नीति: एक विरोधाभास और समाज पर इसका प्रभाव, कानून में सुधार की आवश्यकता

राजीव कुमार, प्रधान संपादक, ग्राम समाचार
लेखक  -राजीव कुमार, प्रधान संपादक, ग्राम समाचार

सरकार की शराब नीति पर विचार करते समय यह स्पष्ट होता है कि एक ओर जहां राज्य शराब के वैध कारोबार को बढ़ावा देने के लिए लाइसेंस जारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर स्थानीय भठ्ठियों को नष्ट किया जा रहा है। यह विरोधाभास न केवल नीति की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है, बल्कि समाज में शराब के प्रति दृष्टिकोण को भी प्रभावित करता है।

शराब का सेवन मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, परिवारिक संबंधों और सामाजिक संरचना पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। कई अध्ययन बताते हैं कि शराब पीने से उत्पन्न होने वाले नशे के कारण हिंसा, अपराध और सामाजिक असमानता बढ़ती है। इस संदर्भ में, सरकार का यह दोगला रवैया—एक ओर वैधता को बढ़ावा देना और दूसरी ओर अवैधता पर अंकुश लगाने में विफल रहना—समाज में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।

जब सरकार अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है, तो अक्सर यह कार्रवाई केवल दिखावे तक सीमित होती है। भठ्ठियों को नष्ट करना समस्या का समाधान नहीं है; असली समस्या अवैध बिक्री की जड़ें हैं जो गहरी हैं। इसके बजाय, सरकार को चाहिए कि वह एक सशक्त नीति बनाकर अवैध शराब के कारोबार को समाप्त करने का प्रयास करे।

सरकार को चाहिए कि वह देश के नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार के नशे पर प्रतिबंध लगाए। इसके लिए:

  • कड़े कानून: सभी प्रकार के मादक पदार्थों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले कड़े कानून बनाए जाएं।
  • जागरूकता अभियान: लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाए जाएं।
  • वैकल्पिक राजस्व स्रोत: सरकार को राजस्व प्राप्ति के अन्य तरीकों की खोज करनी चाहिए, जैसे पर्यटन, कृषि उत्पादों या अन्य उद्योगों से।

सरकार का यह दोगला रवैया—एक ओर वैधता को बढ़ावा देना और दूसरी ओर अवैधता पर अंकुश लगाने में विफल रहना—समाज में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। यदि सरकार वास्तव में अवैध शराब कारोबार पर नियंत्रण पाना चाहती है, तो उसे एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा जो न केवल दंडात्मक कार्रवाई पर निर्भर करे, बल्कि जागरूकता और शिक्षा जैसे उपायों को भी शामिल करे। एक स्वस्थ समाज की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि हम नशे की लत से मुक्ति पाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।


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Editor - न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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