भुननेश्वर, ओडिशा के तटों पर लगभग 3 लाख ओलिव रिडले कछुए अपने वार्षिक सामूहिक घोंसले, जिसे "एरिबाडा" के नाम से जाना जाता है, के लिए पहुंचे हैं। इस साल का घोंसला विशेष रूप से खास है क्योंकि यह दिन के दौरान हो रहा है, जो इस घटना को देखने का एक अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है। आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू ने कछुओं के किनारे आने के वीडियो साझा किए, जिसमें समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और एक स्वस्थ आवास का संकेत दिया गया। उन्होंने एक अन्य वीडियो भी साझा किया जिसमें 3,000 और कछुए ओडिशा के रुशिकुल्या में घोंसला बना रहे हैं। वीडियो वायरल हो गए हैं, जिनमें उपयोगकर्ता विस्मय व्यक्त कर रहे हैं और इन कछुओं के लिए इन समुद्र तटों को घोंसले के स्थानों के रूप में चुनते रहने के लिए समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा के महत्व पर प्रकाश डाल रहे हैं। साहू ने तमिलनाडु तट पर ओलिव रिडले कछुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए चल रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया।
दिन में एरिबाडा: एक दुर्लभ नज़ारा
सामान्यतः ओलिव रिडले कछुए रात में घोंसला बनाते हैं, लेकिन इस साल बड़ी संख्या में कछुओं का दिन में तट पर आना एक दुर्लभ और अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। यह घटना वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इससे उन्हें इन समुद्री जीवों के व्यवहार और प्रजनन प्रक्रिया को और बेहतर ढंग से समझने का मौका मिलता है।
पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण
ओलिव रिडले कछुए समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं। ये कछुए समुद्री घास और जेलीफिश खाते हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बना रहता है। इनकी घटती संख्या समुद्री जैव विविधता के लिए एक गंभीर खतरा है, इसलिए इनका संरक्षण बेहद ज़रूरी है।
संरक्षण के प्रयास
ओडिशा सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठन ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इन प्रयासों में कछुओं के घोंसलों की सुरक्षा, समुद्र तटों को साफ रखना और मछुआरों को कछुओं को पकड़ने से रोकने के लिए जागरूक करना शामिल है। सुप्रिया साहू ने तमिलनाडु में कछुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए चल रहे प्रयासों का भी ज़िक्र किया, जो इन जीवों के संरक्षण के प्रति गंभीरता को दर्शाता है।
जन जागरूकता की आवश्यकता
ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण के लिए जन जागरूकता बेहद आवश्यक है। स्थानीय समुदायों और पर्यटकों को इन कछुओं के महत्व के बारे में जागरूक करना ज़रूरी है, ताकि वे भी इनके संरक्षण में अपना योगदान दे सकें। इन कछुओं को परेशान न करना, उनके घोंसलों को नुकसान न पहुंचाना और समुद्र तटों को साफ रखना जैसे छोटे-छोटे कदम भी इनके संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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