प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) में कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक बड़े घोटाले का खुलासा किया है। ईडी की जांच, जिसमें डिस्टिलरीज और टीएएसएमएसी कार्यालयों पर छापे शामिल थे, में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और बेहिसाब नकद लेनदेन का पता चला।
मुख्य आरोप:
- निविदाओं में हेरफेर: ईडी को परिवहन और बार लाइसेंस निविदाओं में हेरफेर के सबूत मिले, जिसमें कुछ डिस्टिलरीज ने व्यवस्थित रूप से खर्चों को बढ़ाया और धन निकालने के लिए नकली खरीद बनाई।
- अतिरिक्त शुल्क: टीएएसएमएसी आउटलेट कथित तौर पर वास्तविक एमआरपी से प्रति बोतल 10-30 रुपये अधिक वसूल रहे थे, जिसमें अधिकारी रिश्वत लेने में शामिल थे।
- किकबैक: डिस्टिलरी कंपनियों पर टीएएसएमएसी अधिकारियों को आपूर्ति आदेश के लिए किकबैक की पेशकश करने का आरोप लगाया गया था।
राजनीतिक प्रभाव:
- बीजेपी के आरोप: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार पर घोटाले का संचालन करने का आरोप लगाया है। बीजेपी का दावा है कि ईडी के छापों ने महत्वपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया है।
- डीएमके की प्रतिक्रिया: आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी ने आरोपों को निराधार और प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ईडी के दावों को कानूनी रूप से चुनौती देगी।
- विपक्ष की प्रतिक्रिया: ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने बजट सत्र के दौरान वॉकआउट किया, जिसमें डीएमके सरकार से कथित भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी लेने की मांग की गई।
ईडी की जांच जारी है, जिसमें कथित घोटाले में शामिल अधिकारियों को तलब करने की योजना है। इस घोटाले के राजनीतिक निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं, और विपक्षी दल राज्य सरकार से जवाबदेही की अपनी मांग तेज कर रहे हैं।
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