भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका अपने द्विपक्षीय व्यापार का महत्वपूर्ण विस्तार करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचना है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य, जिसे "मिशन 500" कहा गया है, में 2025 के पतन तक एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) पर बातचीत करना शामिल है।
मुख्य घटनाक्रम:
- व्यापार समझौते की बातचीत: दोनों देश एक बहु-क्षेत्रीय बीटीए के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें बाजार पहुंच बढ़ाना, टैरिफ कम करना और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को बढ़ाना शामिल है।
- टैरिफ में कमी: भारत ने हाल ही में कुछ अमेरिकी उत्पादों, जैसे कि बोरबोन और आईसीटी सामानों पर टैरिफ कम किया है, जबकि अमेरिका ने भारतीय कृषि निर्यात जैसे आम और अनार पर प्रतिबंधों में ढील दी है।
- आगे की चुनौतियां: अमेरिका भारत के उच्च टैरिफ में महत्वपूर्ण कमी चाहता है, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक में से हैं। यह बातचीत में एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है।
- संरक्षणवादी नीतियां: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का पारस्परिक टैरिफ पर जोर भारत के लिए चुनौतियां पेश कर सकता है, क्योंकि अमेरिका भारत द्वारा लगाए गए टैरिफ के बराबर टैरिफ लगा सकता है।
भविष्य का दृष्टिकोण:
अगले छह से आठ महीनों में, भारत और अमेरिका से व्यापार सौदे के प्रमुख पहलुओं को अंतिम रूप देने की उम्मीद है, जो द्विपक्षीय व्यापार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकता है। समझौते का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करना और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन बढ़ाना है।
इन महत्वाकांक्षाओं के बावजूद, दोनों देशों को अपने व्यापार लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए टैरिफ, बाजार पहुंच और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं जैसे जटिल मुद्दों से निपटना होगा।
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