नई दिल्ली। अंतरिक्ष में एक बेहद दुर्लभ घटना देखी गई है। दो सुपरमैसिव ब्लैक होल आपस में टकराए और एक नया विशाल ब्लैक होल बना, जो अब असामान्य रूप से तेज गति से ब्रह्मांड में उड़ रहा है!
वैज्ञानिकों ने देखा अद्भुत नज़ारा
न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे उन्हें सुपरमैसिव ब्लैक होल के टकराने और आकाशगंगाओं के विकास के बारे में नई जानकारी मिलेगी।
तेज रफ्तार से भागता ब्लैक होल
मैरीलैंड में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मार्को चियाबर्ज और उनके साथियों ने 3C 186 नाम की आकाशगंगा में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल को देखा। यह ब्लैक होल एक हजार किलोमीटर प्रति सेकंड से भी ज्यादा की रफ्तार से आकाशगंगा से बाहर भाग रहा है!
हबल टेलीस्कोप ने दिखाई झलक
हबल स्पेस टेलीस्कोप से पहले किए गए अवलोकनों से पता चला था कि आकाशगंगा का क्वासर (एक ब्लैक होल से निकलने वाली तेज रोशनी) अपनी सही जगह पर नहीं था। आकाशगंगा में तारों के अध्ययन से यह भी पता चला कि सुपरमैसिव ब्लैक होल आकाशगंगा के केंद्र से लगभग 33,000 प्रकाश वर्ष दूर था। इससे वैज्ञानिकों को लगा कि शायद यह किसी बड़ी घटना के कारण अपनी जगह से हट गया है, जैसे कि दो आकाशगंगाओं का टकराना।
कैसे हुआ यह सब?
चियाबर्ज की टीम ने चिली में वेरी लार्ज टेलीस्कोप और हवाई में सुबारू टेलीस्कोप का इस्तेमाल करके ब्लैक होल से निकलने वाली रोशनी का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि ब्लैक होल से निकलने वाली रोशनी नीली हो गई थी, जिसका मतलब है कि ब्लैक होल तेजी से पृथ्वी की ओर आ रहा है। वहीं, आसपास की गैस में बहुत कम नीलापन था, जो दिखाता है कि ब्लैक होल आकाशगंगा के बाकी हिस्सों की तुलना में बहुत तेज चल रहा है।
टकराव का नतीजा
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सब दो आकाशगंगाओं के टकराने से हुआ। जब वे टकराईं, तो उनके केंद्र में मौजूद ब्लैक होल भी आपस में मिल गए और एक बड़ा ब्लैक होल बन गया। इस टक्कर से गुरुत्वाकर्षण तरंगें निकलीं, जो एक दिशा में गईं, और नया ब्लैक होल दूसरी दिशा में चला गया।
अभी और रिसर्च बाकी
यूके के सरे विश्वविद्यालय की एलेसिया गुआलैंड्रिस कहती हैं, "यह घटना बहुत ही रोमांचक है।" लेकिन, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के ल्यूक ज़ोल्टन केली थोड़े सतर्क हैं। उनका कहना है कि सुपरमैसिव ब्लैक होल के आसपास की रोशनी को समझना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए इस बात को पूरी तरह से साबित करने के लिए और रिसर्च की जरूरत है।
यह खोज ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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