Dumka News : मोहलीडीह गांव में श्रीकृष्ण बाल लीला की कथा सुनकर हुए स्रोता भावविभोर

मोहलीडीह गांव में कथा सुनाते कथावचक शिवम कृष्ण महाराज

ग्राम समाचार, दुमका। मसलिया प्रखंड क्षेत्र बास्कीडीह पंचायत के मोहलीडीह गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवद कथा के पंचम रात्रि को कथा वाचक श्रीधाम वृंदावन निवासी शिवम कृष्ण महाराज ने श्रोताओं को भगवान कृष्ण के बाल लीला की कथा का रसपान श्रोताओं को कराया। कथावाचक ने कहा कि भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक है। इसके अध्ययन व श्रवण करने से आत्मा से परमात्मा की मिलन की अनुभूति प्राप्त होती है। वहीं कथा का वर्णन करते हुए कहा की भगवान कृष्ण ने बाल्य काल में अनेकों लीलाएं रची। भगवान का बाल स्वरूप को देखकर गोकुल की गोप गोपियां मंत्रमुग्ध हो जाती थी। उनके माखन चोरी व नटखट स्वभाव के चलते गोपियां हर रोज उनके शिकायत मईया यशोदा से किया करती। यशोदा मईया कृष्ण को डांटते हुए कहती कि तुमने माखन चुरा के क्यों खाया इस पर वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैंने माखन नहीं खाया। कंस को जब यह जानकारी मिली कि कृष्ण नामक बालक का जन्म उसे मारने के लिए गोकुल में जन्मा है तो उन्होंने पूतना नामक राक्षसी को भेजा,बाद में बकासुर,अघासुर,काष्ठासुर आदि असुरों को समय समय पर भेजते रहे जिसका भगवान ने बारी बारी से उद्धार किया। कंदुक क्रीड़ा करते यमुना नदी में जैसे गेंद गिरा तो बाल संगी के आग्रह से जैसे यमुना में प्रवेश किया तो कालिया नाग जैसे असुर से सामना हुआ भगवान ने वहां भी कालिया दमन किया। नंद राय को जब लगा कि गोकुल में रहना खतरों से खाली नहीं है तो अंततः उन्होंने सभी गोप ग्वालों के साथ वृंदावन में शरण ली। जहां गिरिराज भगवान गोवर्धन पूजा कर देवराज इंद्र के अभिमान मर्दन किया। इंद्र कुपित होकर जब वरुण देव से घनघोर वर्षा कराई तो भगवान कृष्ण ने गिरी गोवर्धन पर्वत को अपने कनिष्ठ अंगुली में उठाकर सभी गोप ग्वालों की रक्षा की। भगवान के इस लीला को देखने जब स्वर्ग लोग से स्वयं ब्रह्मा जी आये तो भगवान कृष्ण को ग्वाल बाल के जूठन खाते खेलते देख उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि ये भगवान हैं। लगा कि यह भगवान नहीं हो सकता। परीक्षा के लिए उन्होंने सभी ग्वाल बालों व गायें को चुरा कर ब्रह्मलोक ले गए। ब्रह्मा को लगा कि अब कृष्ण स्वयं भगवान हैं या नहीं इसका पता चलेगा। कृष्ण ने ब्रह्मा के इस करतूत को जानकर सभी ग्वाल वालों व गायों के स्थान में स्वयं को रूपांतरित कर दिया और एक वर्ष तक वृंदावन में खेला करते रहे। तब ब्रह्मा ने भगवान से क्षमाप्रार्थना की ओर अपनी भूल स्वीकारा। कथा के पश्चात भगवान गिरिराज की झांकी व आरती गायी गयी। कथा का आयोजन समस्त मोहलीडीह ग्रामवासियों की ओर से किया जा रहा है। इसका समापन सोमवार को हवन यज्ञ के साथ किया जाएगा

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Editor - केसरीनाथ यादव, दुमका

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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