कुलभूषण जाधव के अपहरण में ISI की मदद करने वाला शख्स बलूचिस्तान में ढेर!


नई दिल्ली। बलूचिस्तान में एक चौंकाने वाली घटना घटी है। अज्ञात बंदूकधारियों ने उस पाकिस्तानी शख्स को मौत के घाट उतार दिया, जिसने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा करने में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद की थी। मुफ्ती शाह मीर, जो अक्सर आतंकी शिविरों में जाता था और घुसपैठ में मदद करता था, अब इस दुनिया में नहीं रहा।

अज्ञात हमलावरों ने किया खात्मा

खबरों के मुताबिक, मुफ्ती शाह मीर को शुक्रवार रात बलूचिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों ने मार गिराया। मीर पर पहले भी दो बार जानलेवा हमले हो चुके थे और वह मानव तस्करी जैसे गैरकानूनी कामों में लिप्त था।

मस्जिद से निकलते ही हमला

बताया जा रहा है कि हमलावरों ने तुरबत में एक मस्जिद से नमाज पढ़कर निकलते समय मीर पर हमला किया। उन्होंने मीर पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिससे उसकी अस्पताल में मौत हो गई।

कुलभूषण जाधव का अपहरण

कुलभूषण जाधव, जो ईरान में अपना कारोबार करते थे, को जैश अल-अदल के मुल्ला उमर ईरानी के नेतृत्व वाले एक समूह ने ईरान-पाकिस्तान सीमा से अगवा कर लिया था। इसके बाद, उन्हें मीर सहित कई लोगों के जरिए पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया गया था।

कौन था मुफ्ती शाह मीर?

मीर, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) नामक एक कट्टरपंथी पार्टी का सदस्य था। वह एक धार्मिक विद्वान के रूप में जाना जाता था, लेकिन असल में हथियारों और मानव तस्करी में शामिल था। उसके आईएसआई के साथ भी गहरे संबंध थे।

आतंकी गतिविधियों में शामिल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मीर अक्सर पाकिस्तान में आतंकी शिविरों में जाता था और उन्हें भारतीय सीमा में घुसपैठ करने में मदद करता था। उसने कई बलूच युवाओं के अपहरण और हत्या में भी अहम भूमिका निभाई थी।

पिछले हमलों में बाल-बाल बचा

पिछले साल मीर पर दो बार जानलेवा हमले हुए थे, जिसके बाद उसने अपनी गतिविधियों को कम कर दिया था। पिछले हफ्ते, जेयूआई-एफ के दो अन्य सदस्यों को भी बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार दी थी।

पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव का मामला

कुलभूषण जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास से हिरासत में लिया गया था। पाकिस्तान ने उन पर जासूसी और तोड़फोड़ के आरोप लगाए थे, जिसके लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। भारत ने इस फैसले की कड़ी निंदा की थी और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने भी भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था।

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Editor - न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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