गुवाहाटी: गौहाटी उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सामान्य वैवाहिक झगड़ों को अपने आप में क्रूरता नहीं माना जा सकता है। न्यायालय ने यह टिप्पणी एक वैवाहिक विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान की।
न्यायमूर्ति [न्यायाधीश का नाम, यदि उपलब्ध हो] की पीठ ने स्पष्ट किया कि हर घरेलू कलह को 'क्रूरता' की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। अदालत के अनुसार, वैवाहिक जीवन में मामूली नोकझोंक और असहमतियां स्वाभाविक हैं, और इन्हें क्रूरता का आधार नहीं बनाया जा सकता है।
अदालत ने यह भी कहा कि क्रूरता साबित करने के लिए, यह दिखाना आवश्यक है कि पति या पत्नी के व्यवहार ने दूसरे साथी के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है। केवल विवादों या असहमति को क्रूरता नहीं कहा जा सकता।
यह फैसला पारिवारिक विवादों के मामलों में एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है। यह स्पष्ट करता है कि वैवाहिक जीवन में होने वाले सामान्य झगड़ों को कानूनी रूप से 'क्रूरता' नहीं माना जाएगा, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि इससे किसी साथी को गंभीर मानसिक या शारीरिक क्षति हुई है।
इस विशिष्ट मामले के विवरण और फैसले के पूर्ण संदर्भ के लिए, आप गुवाहाटी प्लस पर उपलब्ध लेख देख सकते हैं।
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